हमें छुआछूत के भाव को पूरी तरह मिटाना हैः भागवत

अलवर में पौधारोपण करते हुए संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत एवं अन्य अतिथि।अलवर स्वयंसेवकों के एकत्रित कारण में डॉ मोहन भागवत

संघ प्रमुख बोले- हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव

जयपुर, 15 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने धर्म को भूलकर स्वार्थ के अधीन हो गए, इसलिए छुआछूत चला। ऊंच-नीच का भाव बढ़ा, हमें इस भाव को पूरी तरह मिटाना है। जहां संघ का काम प्रभावी है, संघ की शक्ति है, वहां कम से कम मंदिर, पानी, श्मशान सब हिंदुओं के लिए खुले रहें, यह काम समाज का मन बदलते हुए करना है। सामाजिक समरसता के माध्यम से परिवर्तन लाना है। उन्होंने स्वयंसेवकों से सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्व का भाव और नागरिक अनुशासन इन पांच विषयों को अपने जीवन में उतारने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब इन बातों को स्वयंसेवक अपने जीवन में उतारेंगे तब समाज भी इनका अनुसरण करेगा।

डॉ. भागवत रविवार को अलवर जिले के इंदिरा गांधी खेल मैदान में स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष संघ कार्य को सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। संघ की कार्य पद्धति दीर्घकाल से चली आ रही है। हम कार्य करते हैं तो उसके पीछे विचार क्या है, यह हमें ठीक से समझ लेना चाहिए और अपनी कृति के पीछे यह सोच हमेशा जागृत रहनी चाहिए। राष्ट्र को समर्थ करना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है। क्योंकि हिंदू समाज इसका उत्तरदायी है। इस राष्ट्र का अच्छा होता है तो हिंदू समाज की कीर्ति बढ़ती है। इस राष्ट्र में कुछ गड़बड़ होता है तो हिंदू समाज पर आता है क्योंकि वही इस देश का कर्ताधर्ता है।

संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि राष्ट्र को परम वैभव संपन्न और सामर्थ्यवान बनाने का काम पुरुषार्थ के साथ करने की आवश्यकता है। हमें समर्थ बनना है। इसके लिए पूरे समाज को योग्य बनाना पड़ेगा। जिसे हम हिंदू धर्म कहते हैं, यह वास्तव में मानव धर्म है, विश्व धर्म है और यह सबके कल्याण की कामना लेकर चलता है। हिंदू मतलब विश्व का सबसे उदारतम मानव, जो सब कुछ स्वीकार करता है। सबके प्रति सद्भावना रखता है। पराक्रमी पूर्वजों का वंशज है। जो विद्या का उपयोग विवाद पैदा करने के लिए नहीं करता, ज्ञान देने के लिए करता है। धन का उपयोग मदमस्त होने के लिए नहीं करता, दान के लिए करता है। शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा के लिए करता है। यह जिसका शील है, यह जिसकी संस्कृति है वह हिंदू है। पूजा किसी की भी करता हो। भाषा कोई भी बोलते हो। किसी भी जात-पात में जन्मा हो। किसी भी प्रांत का रहने वाला हो। कोई भी खान-पान रीति-रिवाज को मानता हो। यह मूल्य जिनके हैं, यह संस्कृति जिनकी है, वह सब हिंदू हैं।

डॉ. भागवत ने कहा कि पहले संघ को कोई नहीं जानता था। अब सब जानते हैं। पहले संघ को कोई मानता नहीं था। आज सब लोग मानते हैं, जो हमारा विरोध करने वाले लोग हैं वह भी। हमारा होठों से तो विरोध करते हैं लेकिन मन से तो मानते ही हैं। इसलिए अब हमें हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू समाज का संरक्षण राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिए करना है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जो होना चाहिए, वह सब हमको करना है। छोटी बातों से प्रारंभ करना। पानी बचाओ, सिंगल प्लास्टिक हटाओ, पौधे लगाओ, घर को हरित घर बनाना, घर में हरियाली और सामाजिक रूप से भी अधिक से अधिक पेड़ लगाने का काम हमें करना है।

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि भारत में भी परिवार के संस्कारों को खतरा है। मीडिया के दुरुपयोग से नई पीढ़ी बहुत तेजी से अपने संस्कार भूल रही है। इसलिए सप्ताह में एक बार निश्चित समय पर अपने कुटुंब के सब लोगों को एक साथ बैठना। अपनी श्रद्धा अनुसार घर में भजन पूजन करना, उसके बाद घर में बना हुआ भोजन साथ में करना। समाज के लिए भी कुछ ना कुछ करने की योजना करना। इसके लिए छोटे-छोटे संकल्प परिवार के सब लोग लें। अपने घर के अंदर भाषा, भूषा, भवन, भ्रमण और भोजन अपना होना चाहिए। इस तरह से कुटुंब प्रबोधन करना है।

उन्होंने कहा कि अपने घर में स्वदेशी से लेकर स्व गौरव तक सारी बातें हैं, उनका प्रबोधन होना चाहिए। अपने देश में जो बनता है वह विदेश का नहीं खरीदना और यदि जीवन के लिए आवश्यक ही है तो अपनी शर्तों पर खरीदना। साथ ही अपने जीवन में मितव्ययिता को अपनाना होगा। समाज सेवा के कार्यों में समय लगाना। यह समाज पर उपकार नहीं है हमारा कर्तव्य है, ऐसा ध्यान रहना चाहिए। उन्होंने कि नागरिक अनुशासन हमारा होना चाहिए। हम इस देश के नागरिक हैं। हमें नागरिकता का बोध होना ही चाहिए। अलवर नगर के एकत्रीकरण में संघ दृष्टि से चार उपनगरों की 40 बस्तियों से 2842 स्वयंसेवकों ने भाग लिया।

मातृ स्मृति वन में किया वृक्षारोपण

एकत्रीकरण कार्यक्रम के बाद पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के निमित्त डॉ. भागवत भूरासिद्ध स्थित मातृ स्मृति वन में पहुंचे, जहां उन्होंने वृक्षारोपण किया। इस दौरान केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव, प्रदेश के वन मंत्री संजय शर्मा, संघ के अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख अरुण कुमार जैन, क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेशचंद्र अग्रवाल, क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख श्रीवर्द्धन, क्षेत्र कार्यवाह जसवंत खत्री, क्षेत्र सह कार्यवाह गेंदालाल और क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ. महावीर कुमावत सहित कई गण्यमान्य उपस्थित रहे।

------------

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

   

सम्बंधित खबर