पूर्वोत्तर भारत में ड्रग्स तस्करी पर राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय करेगा व्यापक अनुसंधान

आरआरयू

- केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को ड्रग्स तस्करी पर व्यापक शोध और समाधान तलाशने का जिम्मा सौंपा

पासीघाट/ ईटानगर, 02 दिसंबर (हि.स.)। भारत सरकार उत्तर-पूर्वी राज्यों में सीमा पार से हो रही ड्रग्स तस्करी को लेकर गंभीर है। इस चुनौती से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने अरुणाचल प्रदेश के पासीघाट में स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) को ड्रग्स तस्करी पर व्यापक शोध और समाधान तलाशने का जिम्मा सौंपा है। आरआरयू का यह शोध भविष्य में ड्रग्स तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही तस्करी पर निगरानी रखने, क्षेत्रीय ड्रग मुद्दों को समझने और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ने की दिशा में भी सार्थक होगा।

आरआरयू पासीघाट के निदेशक अविनाश खरेल का कहना है कि आरआरयू के नारकोटिक्स और ड्रग्स अध्ययन केंद्र (सीएनडीएस) का उद्देश्य नशीले पदार्थों और ड्रग्स से संबंधित गंभीर समस्याओं का समाधान करना है। यह केंद्र अनुसंधान, शिक्षा और जागरुकता अभियानों के माध्यम से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर नशीली दवाओं के प्रभाव का अध्ययन करेगा। यह अध्ययन पूर्वोत्तर के राज्यों की भौगोलिक स्थिति और ड्रग्स से जुड़ी विशिष्ट समस्याओं को ध्यान में रखते हुए सीमा पार ड्रग तस्करी पर निगरानी रखने, क्षेत्रीय ड्रग मुद्दों को समझने और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। क्षेत्र से संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी आधुनिक तकनीक से प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे ड्रग्स की चुनौती से बेहतर ढंग से निपट सके। उन्होंने बताया कि विवि देश की आंतरिक सुरक्षा और नए तरह के अपराध साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर भी काम कर रहा है। साइबर अपराधों को लेकर आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए कई राज्यों पुलिस अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया गया है।

दरअसल, पूर्वोत्तर भारत को प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। शांत पहाड़ियों और बहती नदियों के बीच ड्रग्स की काली छाया युवाओं के भविष्य को निगल रही है। आज यहां ड्रग्स, नारकोटिक्स और डोपिंग की समस्या गंभीर चुनौती बन गई है। पूर्वोत्तर के राज्यों में म्यांमार सीमा से बड़ी मात्रा में ड्रग्स भारत में प्रवेश करती हैं। नशे की लत के चलते पढ़ाई और रोजगार की संभावनाएं खत्म हो रही हैं। नारकोटिक्स और ड्रग्स अध्ययन केंद्र की योजना उत्तर-पूर्वी भारत में नशे के बढ़ते खतरे को देखते हुए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह केंद्र अगले सत्र से काम शुरू कर देगा। सीएनडीएस न केवल ड्रग्स के दुरुपयोग को रोकने के लिए काम करेगा, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने, शोध को प्रोत्साहित करने और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग बढ़ाने में भी सक्रिय रहेगा। यह पहल क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर एक स्थिर और स्वस्थ समाज बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

पुलिस प्रशासन विभाग में सहायक प्राध्यापक संजीव ने बताया कि सीएनडीएस के प्रमुख उद्देश्यों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिए प्रभावी रणनीति विकसित करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करना और शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी एजेंसियों और उद्योगों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना शामिल है। विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से केंद्र का उद्देश्य छात्रों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों को बढ़ते नशीले पदार्थों के खतरे से निपटने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से सशक्त बनाना है।

आरआरयू के पुलिस प्रशासन विभाग के सहायक प्राध्यापक सचिन चौहान के मुताबिक यह प्रयास राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है। अनुसंधान, शिक्षा और सामुदायिक सहयोग को एकीकृत करके पासीघाट परिसर का उद्देश्य नशीली दवाओं से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार करना है।---------------------------------------------

हिन्दुस्थान समाचार / ईश्वर

   

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