रेवाड़ीः नवजात बच्चों को लावारिस हालात में छोड़ना अमानवीय कृत्यः अभिषेक मीणा
- Admin Admin
- Dec 28, 2024
रेवाड़ी, 28 दिसंबर (हि.स.)। नवजात बच्चों को लावारिस हालात में छोड़ना एक अमानवीय कृत्य तो है ही, साथ ही यह है एक संगीन कानूनी अपराध भी है। यदि कोई भी अपने नवजात बच्चों का किसी भी परिस्थिति वश पालन पोषण करने में असमर्थ है, तो उसे लावारिस हालत में छोड़ने के स्थान पर 1098 पर कॉल कर जानकारी दी जा सकती है, ताकि बच्चे को सुरक्षित ढंग से स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में रखा जा सके।
उपायुक्त अभिषेक मीणा ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि रेवाड़ी में भी ऐसे बच्चों के लिए स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी संचालित है। आस्था कुंज और सिविल हस्पताल में पालना रखा गया है। कई बेऔलाद दंपति बच्चा गोद लेने के लिए सालों इंतजार करते है। उन्होंने कहा कि सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स अर्थोरिटी पोर्टल पर 2 हजार 2 सौ 9 बच्चे रजिस्टर्ड है, जिसमे 756 बच्चे बिल्कुल ठीक है। इनमे 1 हजार 4 सौ 53 ऐसे बच्चे है जिन्हें स्पेशल केयर की जरूरत है। वही पोर्टल पर 35 हजार 4 सौ 5 पेरेट्स ने इन बच्चों को गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन की हुई है। औसत देखें तो एक बच्चे को गोद लेने के लिए तकरीबन 16 पेरेट्स ने अप्लाई किया हुआ है। गोद लेने के लिए पेरेट्स को कम से कम 3 साल तक लंबा इंतजार करना पडता है।
पूरी जांच पड़ताल के बाद ही बच्चा गोद दिया जाता है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी दीपिका यादव ने बताया की बच्चे को छोड़ने वाले की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाएगी। यदि अभिभावक चाहें तो सीधे चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी के समक्ष भी बच्चे को छोड़ सकते हैं। उन्होंने बताया कि रेवाडी की स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी में फिलहाल एक बच्ची है। यहां से अभी तक 37 बच्चे अडॉप्ट किए जा चुके हैं। जनवरी 2024 से अभी तक 15 बच्चे गोद दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि जिला बाल संरक्षण इकाई रैड क्रॉस भवन में कमरा नंबर 788 में संचालित है। अगर किसी को कोई बच्चा मिले या इस बारे में सुचना मिले तो उसकी जानकारी चाइल्ड हेल्प लाइन, पुलिस हेल्प लाइन, बाल कल्याण समिति या जिला बाल संरक्षण इकाई को दी जा सकती है। इसके अलावा फोन नम्बर 01274-221852 पर भी सूचना दी जा सकती है।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / श्याम सुंदर शुक्ला