रबि फसलों में लगने वाले कीट रोगों के बचाव की जिला कृषि अधिकारी ने किसानों को दी जानकारी

फतेहपुर, 15 फरवरी (हि.स.)। मौजूदा समय में मौसम परिवर्तन के कारण रबी फसलों में लगने वाले कीट रोगों की संभावना बढ़ गई है। जिसे ध्यान में रखते हुए बचाव एवं प्रबंधन के लिए कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार कर जागरुकता की आवश्यकता है। शनिवार को किसानों को जानकारी देते हुए जिला कृषि रक्षा अधिकारी नरोत्तम कुमार ने बताया कि गेहूं की फसल में दीमक व गुजिया के प्रकोप के नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरिफॉस 20% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए।

माहू फीट के जैविक नियंत्रण के लिए एजाडिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए ईमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस एल की 1 एमएन मात्रा प्रति ली० पानी में घोल बना कर छिड़काव करें। पीली गेरुई के नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी 500 मिनी प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए पायोफिनेट मिथाइल 70% डबल्यूपी 700 ग्राम अथवा मैन्कोजेब 75%डबल्यूपी 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

सरसों व राई फसल में माहू कीट के जैविक नियंत्रण के लिए एजाडिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए ईमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस एल की 1 एमएन मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करे।

आरा-मक्खी एक सूँडी प्रति पौधा एवं बालदार सूँडी 10 में 15% प्रकोपित पत्तियां दिखाई देने पर आर्थिक क्षति स्तर मानते हुए मैलाथियान 50% ईसी की 1.5 लीटर अथवा क्यूनालफॉस 25% इसी की 1.25 नीटर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

पत्ती सुरंगक (लीफ माइनर): जैविक नियंत्रण के लिए एजाहिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी 2.5 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है।

कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए ऑक्सिडीमेटोन मिथाइल 25% ईसी अथवा क्लोरपायरीनफास 20% ईसी की 1 लीटर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेब 75% डबल्यूपी की 2 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

तुलासिता रोग के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेव 75% डबल्यूपी की 2 किलोग्राम अथवा कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 50% डबल्यूपी की 3 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

सफेद गेरूई रोग के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जीनेव 75% डबल्यूपी की 2 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

चना, मटर व मसूर फसल में सेमीलूपर के नियंत्रण के लिए 50 से 60 बर्ड पर्चर प्रति हेक्टेयर की दर से लगाना चाहिए जिस पर चिड़िया बैठ कर सुडियों को खा सके।

कीट के जैविक नियंत्रण के लिए बैसिलस थुरिंजिएन्सिस की एक किलोग्राम मात्रा अथवा एजाडिरक्टिन (नीम तेल) 0.15% ईसी की 2.5 से 5 बी 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए। कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 25% ई सी 2 लीटर की मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।

एस्कोकाईटा ब्लाइट चने की फसल में पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण के लिए मैनकोजेब 75% डबल्यूपी 2 किलोग्राम प्रति हे० अथवा कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डवल्यूपी की 3 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

आलू की फसल में पछेती झुलसा जब तापमान 10 से 20 सेंटीग्रेड के मध्य एवं आद्रता 80% से अधिक हो तो इस रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है तत्काल सिंचाई बंद कर देनी चाहिए प्रकोप के लक्षण दिखाई देने पर मैनकोजेब 75% डबल्यूपी अथवा जिनेव 75% डबल्यूपी 1.5 से 2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार / देवेन्द्र कुमार

   

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