-हाथियों के झुंड की उपग्रह से मिलेगी सटीक जानकारी
तामुलपुर (असम), 19 नवंबर (हि.स.)। बाक्सा और तामुलपुर जिलों की सीमा से लगे जारतालुक इलाके में दो दिवसीय प्रयास के बाद एक जंगली हाथी के गले में रेडियो कॉलर को लगाने में सफलता मिली है। वन विभाग के सूत्रों ने आज बताया है कि बीते सोमवार को बाक्सा के वन प्रभाग अधिकारी हाथी के झुंड के सरगना नर हाथी के गले में एक रेडियो कॉलर लगाने में सफल रहे। इससे जिला प्रशासन के साथ-साथ वन विभाग द्वारा उपग्रहों के माध्यम से हाथी के झुंड की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी, जिससे वन क्षेत्र में हाथी की मौजूदगी का पहले ही पता चल सकेगा।
रेडियो कॉलरिंग परियोजना भारत सरकार और असम सरकार की एक उल्लेखनीय पहल है। बाक्सा जिले के जिला वन अधिकारी, पद्मश्री कुशल कुमार शर्मा और मानस टाइगर रिजर्व के वन पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. बी. चौधरी रेडियो कॉलर परियोजना में हाथियों के झुंड की आवाजाही की निगरानी के लिए ऑपरेशन रेडियो कॉलर प्रोजेक्ट में शामिल हैं।
बाक्सा, तामुलपुर और नलबाड़ी के जिला प्रशासन ने ऑपरेशन रेडियो कॉलर प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा करने में वन विभाग का समर्थन किया। 18 नवंबर को बाक्सा-तामुलपुर जिले की सीमा पर जरतालुक के पुल के पास सफलतापूर्वक रेडियो-कॉलर जंगली हाथी को ट्रेंकुलाइज कर उसके गले में लगाया गया था।
रेडियो कॉलर की लागत कुल मिलाकर 7-8 लाख रुपये है, जिसे जिला प्रशासन के लिए वहन करना असंभव था। इसके मद्देनजर बीते 14 नवंबर को जिला आयुक्त पंकज चक्रवर्ती की अध्यक्षता में एक बैठक में तामुलपुर जिला प्रशासन ने जंगली हाथियों या किसी भी वन्यजीव की खोज के लिए कम लागत वाले स्वदेशी रेडियो कॉलर के निर्माण के लिए आईआईटी गुवाहाटी के साथ चर्चा करने का निर्णय लिया। यदि यह संभव है, तो हाथी-मानव संघर्ष बहुत कम हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष जिले के कुमारीकाटा वन क्षेत्र में हाथी के हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी और एक व्यक्ति घायल हो गया था। वन विभाग को उम्मीद है कि रेडियो कॉलर से मिलने वाले संदेश के जरिए आम लोगों को पहले ही सतर्क किया जा सकता है।
हिन्दुस्थान समाचार / अरविन्द राय