बांध टूटने से रुका जलप्रवाह, धान की फसल पर संकट

Raipur canal

पश्चिम मेदिनीपुर, 23 सितम्बर (हि.स.)।

बांकुड़ा जिले के रायपुर इलाके में नहर का बांध टूट जाने से मुकुटमणिपुर डैम से जल छोड़ना अनिश्चित काल के लिए रोक दिया गया है। इसके कारण रायपुर तथा आस-पास के पश्चिम मेदिनीपुर जिलों में धान की फसल पर संकट गहराने लगा है। किसानों का कहना है कि कुछ ही दिनों में धान में थोर आने वाला है और इस समय पर्याप्त जल की आवश्यकता होती है। यदि जलसिंचन में बाधा आई तो सीधे तौर पर पैदावार प्रभावित होगी।

स्थानीय किसानो ने बताया कि धान के बढ़ते पौधों के लिए खेतों में पानी रहना जरूरी है। ऐसे समय जल आपूर्ति रुक जाना हमारे लिए भारी नुकसानदायक होगा।

किसानों ने आरोप लगाया कि नहर नियंत्रित रूप से चलती है, इसलिए इस प्रकार का बांध टूटना लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने सिंचाई विभाग पर निगरानी की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि समय रहते देखरेख होती तो यह स्थिति नहीं आती।

सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने माना कि प्रारंभिक समस्याओं के कारण मरम्मत कार्य में देरी हुई, लेकिन अब कार्य तेजी से किया जा रहा है। विभाग ने बताया कि 26 सितम्बर को जल छोड़ना बंद करने की योजना थी, किंतु बांध टूटने के कारण नियत समय से पहले ही जल आपूर्ति रोकनी पड़ी। फिलहाल मरम्मत कब पूरी होगी और जलप्रवाह कब फिर से चालू किया जाएगा, यह कहना संभव नहीं है।

इधर, रायपुर ब्लॉक प्रशासन ने बताया कि श्यामसुंदरपुर क्षेत्र के तीन गांव जलमग्न हो गए थे, जिनसे धीरे-धीरे पानी उतर रहा है। अब तक 31 प्रभावित परिवारों के 141 लोगों को सुरक्षित निकालकर प्राथमिक विद्यालय, पुस्तकालय और आंगनवाड़ी केंद्रों में आश्रय दिया गया है। वहां सोमवार रात को भी भोजन, टिफिन और पेयजल की व्यवस्था की गई।

जानकारी के अनुसार, नहर का बांध टूटने से लगभग 440 हेक्टेयर जमीन में लगी अमन धान की फसल नष्ट हो गई है। प्रभावित किसानों को ‘बांग्ला शस्यबीमा योजना’ के अंतर्गत लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस सिलसिले में श्यामसुंदरपुर में विशेष शिविर का आयोजन भी किया गया।

जिलाधिकारी सैयद एन ने बताया कि जिन परिवारों के घर पूरी तरह से रहने योग्य नहीं हैं, उन्हें अभी राहत शिविरों में ही रखा जाएगा। ब्लॉक प्रशासन को आवश्यक राहत एवं पुनर्वास के निर्देश दिए गए हैं।

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हिन्दुस्थान समाचार / अभिमन्यु गुप्ता

   

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