देशभर में मनाया गया रक्षाबंधन का त्योहार, हुआ रिकॉर्ड कारोबार

खंडेलवाल को प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय संगठन की बहनों ने बांधा राखी

नई दिल्‍ली, 19 अगस्‍त (हि.स.)। देशभर में भाई-बहन के अटूट प्रेम और स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन का पावन त्यौहार सोमवार को व्यापारियों ने बड़े उत्साह से मनाया। इस वर्ष राखी की बिक्री पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले रिकॉर्ड स्तर पर रही, जिससे त्यौहार मनाने की ऊर्जा दुगनी हो गई। पिछले कुछ साल की तरह इस वर्ष भी चीन से न तो राखियां खरीदी गईं और न ही राखियों का सामान आयात हुआ।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने जारी बयान में कहा कि देशभर के बाजारों में रक्षाबंधन पर राखियों की खरीदारी के लिए उमड़ी भीड़ के चलते पिछले साल के राखी की बिक्री के सभी रिकॉर्ड टूट गए और करीब 12 हजार करोड़ रुपये का राखियों का व्यापार हुआ है। इसके साथ ही उपहार देने के लिए मिठाइयों, गिफ्ट्स आइटम्स, कपड़े और एफएमसीजी सामान आदि का कारोबार भी लगभग 5 हजार करोड़ रुपये का आंका गया है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल को रक्षाबंधन के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय संगठन की बहनों ने विशेष रूप से उनके निवास पर जाकर राखी बांधी। इस अवसर पर खंडेलवाल ने कहा कि इस बार राखियों की बिक्री ने नया रिकॉर्ड बनाया है। खंडेलवाल ने बताया की वर्ष 2018 में 3 हजार करोड़ रुपये से राखी का व्यापार शुरू होकर केवल 6 वर्षों में यह आंकड़ा 12 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इसमें से केवल 7 फीसदी व्यापार ही ऑनलाइन के जरिए हुआ जबकि बाकी सारा व्यापार देश के सभी राज्यों के बाजारों में जा कर उपभोक्ताओं ने स्वयं खरीदा है। उन्‍होंने कहा कि राखियों के साथ भावनात्मक संबंध होने के कारण लोग स्वयं देख और परख कर राखियां खरीदते हैं। यही वजह है की इस वर्ष रक्षाबंधन पर राखियों का व्यापार अच्छा हुआ। इससे यह स्पष्ट है की लोग अब त्योहारों को दोबारा से पूरे उल्लास और उमंग के साथ मना रहे हैं। इसके साथ ही विशेष रूप से भारत में बने सामान को ही खरीदने में रुचि रखते हैं।

कैट महामंत्री ने बताया की इस वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर अनेक प्रकार की राखियों के अलावा विशेष रूप से तिरंगा राखी तथा वसुधैव कुटुंबकम राखियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों को लेकर भी अनेक प्रकार की राखियां बनाई गईं, जिनमें मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ की कोसा राखी, कलकत्ता की जूट राखी, मुंबई की रेशम राखी, नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, झारखंड में आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, वाराणसी में बनारसी कपड़ों की राखी, बिहार की मधुबनी और मैथिली कला राखी, पांडिचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बैंगलोर में फूल राखी आदि शामिल हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / प्रजेश शंकर / दधिबल यादव

   

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