सतगुरु बाबा शेवाराम साहब का 108वां प्राकट्य उत्सव धूमधाम से संपन्न

हरिशेवा उदासीन आश्रम में सतगुरु बाबा शेवाराम साहब का 108वां प्राकट्य उत्सव धूमधाम से संपन्न 1हरिशेवा उदासीन आश्रम में सतगुरु बाबा शेवाराम साहब का 108वां प्राकट्य उत्सव धूमधाम से संपन्न

भीलवाड़ा, 17 अक्टूबर (हि.स.)। हरिशेवा उदासीन आश्रम में सतगुरु बाबा शेवाराम साहब का 108 वां प्राकट्य उत्सव शरद पूर्णिमा के अवसर पर बड़े ही हर्षोल्लास और धार्मिक आस्था के साथ संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए, बल्कि देश-विदेश से आए अनुयायियों के लिए भी एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव रहा। आश्रम के प्रांगण में भक्तों का जमावड़ा देखते ही बनता था। हर कोई बाबा शेवाराम साहब की महिमा और उनकी जीवनशैली से प्रेरणा लेने के लिए उपस्थित था।

उत्सव की शुरुआत प्रातःकाल में सतगुरु बाबा शेवाराम साहब की समाधि पर मौन नाम-स्मरण के साथ हुई। महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के सान्निध्य में संतो एवं अनुयायियों ने एक साथ साधना की। मौन नाम-स्मरण के पश्चात, आश्रम प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ धर्म ध्वजारोहण किया गया। इस धार्मिक ध्वजा के आरोहण के समय वातावरण भक्तिमय हो गया, और श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से इस पावन अवसर का हिस्सा बनकर अपनी श्रद्धा व्यक्त की।

इसके पश्चात सभी श्रद्धालुओं ने संतों और महात्माओं के साथ मिलकर सामूहिक पूजन में भाग लिया। पूजन के दौरान परंपरागत भजन गाए गए, जो भक्तों के हृदयों में भक्ति की लहर दौड़ाने का कार्य कर रहे थे। बैंड की मधुर धुन पर श्रद्धालुगण भाव विभोर होकर झूम उठे और पूरी आश्रम में आनंद की धारा बह निकली।

हवन, यज्ञ, और श्री रामायण का अखंड पाठ----

इस उत्सव के मुख्य आकर्षणों में हवन और यज्ञ का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं ने हवन यज्ञ में अपनी आहुतियां दीं और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। इसके साथ ही, श्री रामायण के अखंड पाठ का आयोजन किया गया, जिसका भोग साहब उत्सव के समापन के समय पड़ा। अखंड पाठ के दौरान पूरे वातावरण में श्रद्धा और भक्ति की गूंज सुनाई दे रही थी।

108वें प्राकट्य उत्सव के उपलक्ष में बाबा शेवाराम साहब के निर्वाण मण्डल द्वारा लड्डू महाप्रसाद का भोग लगाया गया। भंडारे के दौरान अन्न क्षेत्र की सेवा भी की गई, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस धार्मिक आयोजन में राजस्थान के विभिन्न हिस्सों से संत-महात्माओं और श्रद्धालुओं की भागीदारी ने इस अवसर को और अधिक भव्य बना दिया।

राजनीतिक और सामाजिक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति----

इस पावन अवसर पर राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी आश्रम में पहुंचकर संत-महात्माओं से आशीर्वाद लिया। देवनानी ने इस अवसर पर सनातन धर्म के गुणों की प्रशंसा करते हुए कहा, “सनातन धर्म की शिक्षाएं और मूल्य आज के समय में भी प्रासंगिक हैं, और हमें अपनी पौराणिक धरोहरों को संजोने की आवश्यकता है।” देवनानी जी का आश्रम में शाल एवं माला पहनाकर भव्य स्वागत किया गया।

इस कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथियों में मांडलगढ़ विधायक गोपाल खंडेलवाल, सहाड़ा विधायक लादूलाल पीतलिया, नगर निगम महापौर राकेश पाठक, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली, कैलाश सोनी, भाजपा प्रवक्ता विनोद झुरानी, मनीष सबदानी सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का आश्रम की ओर से आदरपूर्वक स्वागत किया गया, और उन्हें बाबा शेवाराम साहब के जीवन और उनकी शिक्षाओं के बारे में जानकारी दी गई।

महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के प्रवचन-----

सत्संग की श्रंखला में महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन ने अपने प्रवचन में बाबा शेवाराम साहब के जीवन के अनेक प्रेरक प्रसंग बताए। उन्होंने कहा, “बाबा शेवाराम साहब जब सत्संग करते थे, तब केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि प्रकृति के सभी जीव भी आनंदित हो जाते थे। उनके सत्संग के समय ऐसा लगता था मानो पूरी सृष्टि उनके साथ भक्ति में लीन हो जाती थी।”

स्वामी हंसराम ने आगे कहा, “भगवत प्राप्ति के लिए मनुष्य को समर्पण की भावना विकसित करनी आवश्यक है। जिस प्रकार बाबा शेवाराम ने अपने गुरु बाबा हरिराम साहब के प्रति संपूर्ण समर्पण दिखाया, उसी प्रकार हमें भी अपने गुरु की शिक्षाओं और मार्गदर्शन का पालन करना चाहिए।” इस दौरान उन्होंने भजन ष्ऐसी कृपा मोहे करो, संतन चरण हमारो माथा भी प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर सभी श्रद्धालु भक्ति में लीन हो गए।

संतों का योगदान और भजन-कीर्तन----

इस आयोजन में संत मयाराम, संत राजाराम, संत गोविंदराम, ब्रह्मचारी संत इंद्रदेव, सिद्धार्थ, कुणाल, मिहिर ने भी अपने-अपने प्रवचनों के माध्यम से बाबा शेवाराम साहब के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। सभी संतों ने बाबा जी की धुनी और उनके भजनों का गुणगान किया। भजन-कीर्तन की धारा ने पूरे वातावरण को एक आध्यात्मिक रंग में रंग दिया।

विशेष पूजन और समाधियों पर श्रद्धांजलि---

सायंकाल में नितनेम के अलावा सत्संग प्रवचन और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। बाबा शेवाराम साहब और अन्य संतों की समाधियों पर विशेष पूजन हुआ, और श्रद्धालुओं ने चादर चढ़ाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके पश्चात, सर्वत्र सुख-शांति की प्रार्थना की गई और रात्रि में उत्सव का विश्राम हुआ।

देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की उपस्थिति----

यह आयोजन न केवल स्थानीय स्तर पर महत्वपूर्ण था, बल्कि देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं के लिए भी एक खास अवसर रहा। अजमेर के श्री ईश्वर मनोहर उदासीन आश्रम के महंत स्वरूपदास, पुष्कर के श्री शांतानंद उदासीन के महंत हनुमानराम, राजकोट के महंत अमरदास, अजमेर के स्वामी अर्जनदास, इंदौर के स्वामी मोहनदास, भीलवाड़ा के संत किशनलाल, पं. नवीन, कमल और विजय शास्त्री सहित अनेक संत-महात्मा इस उत्सव में शामिल हुए। सभी संतों और महापुरुषों ने निर्वाण मण्डल के दर्शन किए और अपने प्रवचनों के माध्यम से श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मूलचंद

   

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