हरिद्वार, 14 अक्टूबर (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम में सोमवार को गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त डीन डॉ. विष्णु दत्त राकेश ने आश्रम के परमाध्यक्ष गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती के साथ विद्वत चर्चा कर कलयुग के कालचक्र और कष्टों से मुक्ति पाने के शास्त्रसम्मत उपायों की व्याख्या की। दोनों विद्वानों की दुर्लभ विद्वत चर्चा को आत्मसात कर सभी श्रोताओं ने पाथेय प्राप्त किया।
डॉ. विष्णुदत्त राकेश ने कहा कि वह मानव जीवन प्रकृति के लिए उपयोगी है, जो विद्वान संतों से दीक्षित होकर सृष्टि के लिए वरदान बनता है। वेद-वेदांत, गीता, रामायण और महाभारत के प्रेरणादायी प्रसंगों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि किसी वस्तु या प्रवृत्ति की अधिकता विनाश का कारण बनती है। माता सीता और द्रोपदी का अति सुंदर होना ही दोनों युद्धों का कारण बना।
भगवान श्रीकृष्ण को परमयोगी एवं भक्तवत्सल बताते हुए कहा कि वह पहली पुकार में ही भक्तों का कल्याण करते थे। भगवान राम मर्यादित आचरण की प्रतिमूर्ति थे, तो रावण भी विद्वान और परमसंयमी था, जिसने अपहरण करने के बाद भी माता सीता के शरीर का स्पर्श नहीं किया, लेकिन कलयुगी रावणों ने बलात्कार जैसी घृणित घटनाओं से भारतमाता का दामन कलंकित कर दिया है। केंद्र एवं राज्य सरकारों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए।
विद्वत चर्चा के आयोजक एवं संयोजक श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती ने आगंतुकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गीता भगवान श्रीकृष्ण की वाणी और संपूर्ण विश्व का स्वीकार्य ग्रंथ है, जबकि रामायण और महाभारत से समाज को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। सनातन धर्म के सभी धर्म ग्रंथ सर्वे भवंतु सुखिनः और विश्व कल्याण का संदेश देते हैं।
इस अवसर पर विभिन्न प्रदेशों के श्रद्धालु, आश्रमस्थ संत, वेदपाठी विद्यार्थी तथा स्थानीय ग्णमान्य नागरिक उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला