प्रशंसा करें, साहसी बनें व प्रत्येक की सेवा के लिए तैयार रहें : स्वामी अभेदानंद

प्रयागराज, 20 सितम्बर (हि.स.)। महर्षि पतंजलि ऋषिकुल में ’जीवन एक उपहार, जीना एक कला है’ विषय पर विद्यार्थियों के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता चिन्मय मिशन दक्षिण अफ्रीका के स्वामी अभेदानंद ने छात्रों को जीवन जीने की कला विकसित करने के लिए तीन कुंजियां बताई-प्रशंसा करें, साहसी बनें और प्रत्येक की सेवा के लिए तैयार रहें।

स्वामीजी ने अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को समझाया कि जीवन ईश्वर द्वारा दिया गया एक अमूल्य उपहार है, जिसके लिए हमें उसका धन्यवाद देना चाहिए। इस जगत में जो भी ईश्वर ने हमें उपहार स्वरूप प्रदान किया है, उसे सहेज कर रखना हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों से कहा कि हमें ईश्वर के साथ अपने माता-पिता, शिक्षक, समाज, देश, प्रकृति के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। क्योंकि हमारे जीवन में इन सभी का बहुमूल्य योगदान है।

उन्होंने इस परस्पर संवादात्मक सत्र में अनेक उदाहरणों के माध्यम से छात्रों की जिज्ञासाओं को भी शांत किया। उन्होंने छात्रों को उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने के लिए आसक्ति के बिना प्रेम करने, कुछ पाने की अपेक्षा किए बिना देने की मनोवृत्ति विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया। जिससे वे उद्देश्यपूर्ण जीवन जी सकें।

पतंजलि ऋषिकुल के प्रधानाचार्य नित्यानंद ने विद्यार्थियों को अपने अंदर झांकने तथा हर पल अपने विचारों के प्रति सजग रहने के लिए प्रोत्साहित किया। ताकि वे सही दृष्टिकोण तथा सकारात्मकता के साथ जीवन जी सकें। विद्यालय की उपाध्यक्षा तथा निदेशिका ने विद्यार्थियों को जीवन जीने की कला सीखने तथा जीवन की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम में विद्यालय की उपाध्यक्षा डॉ. कृष्णा गुप्ता, विद्यालय की निदेशिका रेखा बैद, चिन्मय मिशन के कुछ सदस्य व विद्यालय के प्रधानाचार्य नित्यानंद सिंह, पतंजलि नर्सरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका विभा श्रीवास्तव, विद्यालय के शिक्षक शिक्षिकाएं व 11वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्र उपस्थित रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र

   

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