एसपीयू में एक राष्ट्र-एक चुनाव विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

मंडी, 3 अप्रैल (हि.स.)। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी में एक राष्ट्र एक चुनाव पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। सर्वेश कौशल सेवानिवृत्त मुख्य सचिव पंजाब सरकार मुख्य वक्ता के रूप में मौजूद रहे। जबकि जेआर कटवाल विधायक झंडूता ने संगोष्ठी का समन्वय किया, जिसकी अध्यक्षता एसपीयू के कुलपति प्रोफेसर ललित अवस्थी ने की। वहीं पर प्रो. अनुपमा सिंह प्रति कुलपति ने स्वागत भाषण दिया और संगोष्ठी के वक्ताओं का परिचय दिया।

कुलपति प्रो. ललित अवस्थी ने अपने संबोधन में वक्ताओं का स्वागत किया और विषय पर अपने विचार साझा किए तथा संसदीय और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लाभों के बारे में बताया जिससे देश का समय और पैसा बचेगा।

विधायक जेआर कटवाल ने सभा को संबोधित करते हुए लोकतांत्रिक ढांचे और लोकतंत्र में नागरिकों विशेषकर युवाओं की भूमिका और वोट के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों से अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होने और लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने प्रशासक के रूप में अपनी सेवा के दौरान अपने व्यक्तिगत अनुभवों से भारत जैसे देश में बार-बार चुनाव कराने के विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों के बारे में बताया। जे.आर. कटवाल ने चुनावों के इतिहास के बारे में भी बताया, जब भारत में 1951 से 1967 तक समकालिक चुनाव हुए, जिसके दौरान लोकसभा और अधिकांश राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए।

संगोष्ठी में सर्वेश कौशल ने एक राष्ट्र एक चुनाव अवधारणा के विभिन्न उद्देश्यों और लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में दो सितंबर 2023 को संसद और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। युवा मन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान युवाओं को विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों और हमारे देश पर उनके प्रभाव के बारे में पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के सेमिनारों का उद्देश्य युवा पीढ़ी को, जो इस देश का भविष्य हैं, नवीनतम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों के बारे में अधिक जागरूक और सतर्क बनाना है।

सर्वेश कौशल ने कहा कि यह दृष्टिकोण चुनावों के कारण होने वाली लगातार रुकावटों को कम करके शासन को बढ़ा सकता है, जिससे सरकारों को अल्पकालिक चुनावी रणनीतियों के बजाय दीर्घकालिक नीति कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है। इसके अतिरिक्त, यह संभावित रूप से कई चुनाव कराने से जुड़ी लागतों को कम कर सकता है और चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित कर सकता है, जिससे शासन में स्थिरता और पूर्वानुमेयता की भावना को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने वर्तमान चुनाव प्रक्रिया के दोषों को समझाया जिसमें लगातार चुनावों में कई करोड़ रुपए खर्च होते हैं और साथ ही लगातार चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता लागू होने से विभिन्न विकास कार्य और परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। प्रश्न और उत्तर का एक इंटरैक्टिव सत्र आयोजित किया गया जहां छात्रों और शिक्षकों ने एक राष्ट्र एक चुनाव अवधारणा के विभिन्न पहलुओं पर प्रश्न पूछे।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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