गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए होगा विशेष प्रयत्न

-राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में प्राकृतिक कृषि समीक्षा बैठक में अधिक उत्पादन के लालच से बचने की सलाह

गांधीनगर, 03 अप्रैल (हि.स.)। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरुवार को कहा कि गुजरात के क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के विशेष प्रयास किए जाएंगे। राजभवन-गांधीनगर में राज्यपाल आचार्य देवव्रत की अध्यक्षता में कृषि मंत्री राघवजी भाई पटेल और आदिजाति विकास मंत्री डॉ कुबेरभाई डींडोर की उपस्थिति में कृषि विभाग-आदिजाति विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ प्राकृतिक खेती पर राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया।

गुजरात की 53 तहसीलों में आदिवासी के किसान परम्परागत खेती कर रहे हैं। ज्यादातर किसान गाय भी रखते हैं। इन क्षेत्रों में किसान शत प्रतिशत प्राकृतिक खेती करने लग जाएं और डांग जिले की तरह राज्य के तमाम आदिजाति क्षेत्रों में शत प्रतिशत प्राकृतिक खेती हो, इसके लिए आदिजाति विकास विभाग के विशेष सहयोग से कृषि विभाग द्वारा सघन प्रयास किए जाएंगे।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्राकृतिक कृषि अभियान अब राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन बन गया है और यह सामान्य मिशन नहीं है। मानव स्वास्थ्य के लिए वर्तमान समय संघर्ष का समय है। रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से कैन्सर और डायबिटीज जैसे जानलेवा रोगों का हमला बढ़ गया है। धरती सहन करने की स्थिति में नहीं है। फल, सब्जियों और अनाज के जरिये धरती हमें धीमा जहर दे रही है। ग्लोबल वार्मिंग के लिए रासायनिक खेती ज्यादा जिम्मेदार है। ज्यादा उत्पादन पाने के क्षणिक लालच में हम आने वाली पीढ़ियों को गम्भीर परिस्थिति में डालने जा रहे हैं। इस विषय पर गम्भीरता से विचार करने की आवश्यकता है।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में प्राकृतिक कृषि क्षेत्र में आदर्श कार्य हो रहा है। गुजरात की कृषि युनिवर्सिटियों ने गहनता से परीक्षण कर प्राकृतिक कृषि के जो परिणाम प्राप्त किए हैं, वह अत्यंत उत्साहजनक हैं। कृषि युनिवर्सिटियां और ज्यादा संशोधन करे और परिणाम किसानों के समक्ष रखें, जिससे किसानों को प्रमाण मिले और वह नि:संकोच प्राकृतिक कृषि अपना लें।

प्राकृतिक खेती के पंचस्तरीय बागवानी मॉडल को अपनाने से किसानों की आय निश्चित रूप से दोगुनी होगी। इस पद्धति से न तो जुताई की जरूरत पड़ेगी और न ही खरपतवार नियंत्रण में अधिक श्रम लगेगा। इसके साथ ही, प्रदूषण भी नहीं होगा। यदि गुजरात की प्रत्येक तहसील में कम से कम पांच से सात पंचस्तरीय बागवानी जंगल मॉडल फार्म स्थापित किए जाएं, तो अन्य किसानों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि 01 अप्रेल से राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन पूरे देश में लागू हो चुका है। यह केवल सरकार या अधिकारियों का प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि मानवता, पशु जगत और पर्यावरण की रक्षा करना हम सभी का नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने विशेष रूप से आदिवासी इलाकों पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई, क्योंकि वहां के किसान अब भी यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों पर पूरी तरह निर्भर नहीं हुए हैं। साथ ही, आदिवासी क्षेत्रों के कृषि उत्पादों की बाजार में विशेष मांग है। प्राकृतिक खेती के जरिए इन इलाकों में गुणवत्तापूर्ण और प्रचुर मात्रा में उत्पादन संभव है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने देशी गायों की उत्पादकता बढ़ाने, उनकी नस्ल सुधारने और सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक को व्यापक रूप से अपनाने के लिए विशेष अभियान चलाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के विस्तार के लिए व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता है। यूरिया और डीएपी के अधिक उपयोग से हर वर्ष भूमि का जैविक कार्बन कम हो जाता है, जबकि प्राकृतिक खेती के माध्यम से जैविक कार्बन में वृद्धि होती है।

कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल ने बैठक के दौरान कहा कि राज्य के आदिवासी क्षेत्रों में अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य के आदिवासी विकास विभाग को भी इस मिशन से जोड़ा गया है। कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य की कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा प्राकृतिक कृषि पर किए जा रहे कार्यों को देखकर उन्हें संतोष हुआ है।

आदिवासी विकास एवं शिक्षा मंत्री डॉ. श्री कुबेरभाई डींडोर ने कहा कि प्राकृतिक कृषि मिशन में आदिवासी विकास विभाग के शामिल होने से किसानों को दोनों विभागों की योजनाओं का संयुक्त लाभ मिलेगा। इससे प्राकृतिक कृषि मिशन को और अधिक गति मिलेगी। इसके साथ ही, प्रत्येक तीन ग्राम पंचायतों में क्लस्टर योजना लागू करने से प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इस समीक्षा बैठक में कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव अंजू शर्मा, आदिवासी विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जे.पी. गुप्ता, आदिवासी विकास आयुक्त सुप्रीतसिंह गुलाटी समेत कृषि विभाग और आदिवासी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

आदिजाति क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती के लिए विशेष आयोजन

गुजरात के 53 आदिजाति क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए कृषि विभाग द्वारा आदिजाति विकास विभाग के सहयोग से विशेष आयोजन किया गया है।

आदिजाति क्षेत्रों में 2,973 ग्राम पंचायतों के क्षेत्रों को 991 क्लस्टर में बांटा गया है। तीन ग्राम पंचायत के एक क्लस्टर पर एक ग्राम सखी और एक कम्युनिटी रिसॉर्स पर्सन गांव-गांव जाकर किसानों को प्राकृतिक कृषि की तालिम देंगे। करीब 1312 मॉडल फार्म बनाने का लक्ष्य है, जिससे किसान प्रेरणा ले सकें। आदिजाति क्षेत्रों के किसानों को गुणवत्तापूर्ण प्रमाणित बीज उपलब्ध हो सकें, इसका खयाल रखा जाएगा। देसी गाय खरीदने और जीवामृत-घनजीवामृत जैसे बायो इनपुट्स खरीदने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने का आयोजन है। कृषि उत्पादों की बिक्री और स्टोरेज के लिए विशेष व्यवस्था की जाएगी। इतना ही नहीं, बुवाई से बिक्री तक आदिजाति किसानों को निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहे, इस प्रकार का आयोजन किया जाएगा।

---------------

हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय

   

सम्बंधित खबर