सुपर न्यूमैरिक पोस्ट को लेकर और मुश्किल में पड़ेगी बंगाल सरकार, जल्द होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई - सुकांत मजूमदार

कोलकाता, 04 अप्रैल (हि. स.)। पश्चिम बंगाल में शिक्षा घोटाले से जुड़ा एक और मामला अब तृणमूल कांग्रेस सरकार के लिए गंभीर संकट का कारण बन सकता है। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा स्कूलों में अतिरिक्त पद (सुपरन्यूमेरेरी पोस्ट्स) बनाने के निर्णय को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में आठ अप्रैल से सीबीआई जांच पर दोबारा सुनवाई शुरू होने जा रही है। बंगाल भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को कहा है कि इस मामले को लेकर बंगाल सरकार की मुश्किल सबसे अधिक बढ़ने वाली है।

आरोप है कि इन अतिरिक्त पदों को उन लोगों को समायोजित करने के लिए बनाया गया, जिन्हें अवैध रूप से और रिश्वत लेकर नियुक्त किया गया था। इससे पहले अप्रैल 2024 में तत्कालीन भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें सीबीआई को इस निर्णय की जांच का निर्देश दिया गया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर सीबीआई आरोपितों से हिरासत में पूछताछ भी कर सकती है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक से राज्य सरकार को अस्थायी राहत मिली थी, लेकिन अब मामला दोबारा आठ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध है।

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार ने शुक्रवार को कहा कि मुझे भारतीय न्याय प्रणाली पर पूरा विश्वास है। कोर्ट इस घोटाले में शामिल सभी लोगों को सज़ा जरूर देगा। यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि किसी राज्य की मंत्रिपरिषद रिश्वत लेकर भर्ती हुए लोगों को बचाने के लिए खुद अतिरिक्त पद मंजूर कर दे।

उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि जब राज्य कैबिनेट ने यह फैसला लिया है, तो उसके मुखिया इससे कैसे बच सकते हैं? संभव है कि ममता बनर्जी देश की दूसरी मुख्यमंत्री बनें जो शिक्षा घोटाले के चलते जेल जाएं। पहले हरियाणा के ओम प्रकाश चौटाला इस वजह से सजा पा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही अपने आदेश में इन अतिरिक्त पदों को मंजूरी देने के फैसले की वैधता पर सवाल उठाए थे और कहा था कि सीबीआई इसकी गहन जांच करे।

इस पूरे घटनाक्रम के उजागर होने के बाद से ही राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस को विपक्षी दलों से तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। विपक्ष का आरोप है कि यह फैसला योग्य उम्मीदवारों को मौका देने के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्ट तरीकों से भर्ती हुए लोगों की नौकरी बचाने के लिए लिया गया था।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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