कर छूट से खर्च और बचत दोनों को मिलेगा बढ़ावा : आर्थिक विशेषज्ञ

कोलकाता, 1 फरवरी (हि.स.) । केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा नई कर व्यवस्था में न्यूनतम कर स्लैब को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने और वेतनभोगी करदाताओं के लिए 75 हजार रुपये की मानक कटौती जोड़ने के प्रस्ताव से देश के मध्यम वर्ग के खर्च और बचत दोनों में वृद्धि होगी।

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार और पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा विधायक अशोक कुमार लाहिड़ी ने कहा कि इस प्रस्ताव से मध्यम वर्गीय करदाताओं के हाथ में अधिक पैसा आएगा, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार में मांग में तेजी आएगी, जो समग्र अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक होगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह सोचना गलत होगा कि इस अतिरिक्त धन से केवल खर्च में वृद्धि होगी और बचत घटेगी। बल्कि, यह प्रस्ताव खर्च और बचत दोनों को समान रूप से प्रोत्साहित करेगा।

अर्थशास्त्री प्रबीर कुमार मुखोपाध्याय का मानना है कि यह कर प्रस्ताव मांग सृजन पर केंद्रित है, जो अब तक आपूर्ति पक्ष पर अधिक ध्यान देने के बाद आया है। उन्होंने कहा, “जब तक मांग पक्ष पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, तब तक आपूर्ति पक्ष पर दिया गया जोर प्रभावी नहीं होगा। हालांकि, अतिरिक्त धन का कितना प्रतिशत खर्च किया जाएगा और कितना बचाया जाएगा, यह व्यक्तिगत करदाताओं की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा, लेकिन आम तौर पर मध्यम वर्ग संतुलित खर्च और बचत का रुख अपनाता है।”

अर्थशास्त्रियों ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करना भी एक स्वागत योग्य कदम है। उनका मानना है कि वरिष्ठ नागरिक ब्याज आय पर अत्यधिक निर्भर होते हैं, इसलिए यह निर्णय उनके लिए राहत लेकर आएगा। मुखोपाध्याय ने कहा, लंबे समय बाद यह बजट वास्तव में मध्यम वर्ग के अनुकूल है।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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