
आईआईवीआर में अनुसूचित जाति किसानों के लिए विशेष गोष्ठी, आधुनिक तकनीकों से लाभ उठाने पर जोर
मीरजापुर, 11 मार्च (हि.स.)। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) अदलपुरा में मंगलवार को अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) के अंतर्गत सब्जी फसलों द्वारा जीविकोपार्जन सुरक्षा एवं उद्यमिता विकास विषय पर विशेष किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वाराणसी और मीरजापुर के 10 गांवों से आए 400 से अधिक किसान व कृषि उद्यमी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड के कुलाधिपति प्रो. जेपी लाल व विशिष्ट अतिथि राबर्ट्सगंज, सोनभद्र के प्रगतिशील किसान गुलाब प्रसाद रहे।
आईआईवीआर के कार्यकारी निदेशक डॉ. नागेंद्र राय ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि अनुसूचित जाति उप योजना के तहत किसानों को शिक्षा, रोजगार, कौशल विकास और उद्यमिता के क्षेत्र में लाभ दिए जाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आईआईवीआर अब तक 33 सब्जियों की 137 प्रजातियों एवं संकर किस्मों का विकास कर चुका है।
मुख्य अतिथि प्रो. जेपी लाल ने बताया कि सब्जी उत्पादन की यात्रा झोपड़ी और मड़हे पर उगाई जाने वाली फसलों से आधुनिक तकनीकों तक आ गई है। उन्होंने कहा कि बागवानी में सब्जियों का योगदान 60 प्रतिशत से अधिक है, जिससे पोषण सुरक्षा, अधिक उत्पादन, लाभ और रोजगार सृजन के अवसर बढ़े हैं। उन्होंने किसानों को वर्टिकल फार्मिंग, पॉलीहाउस खेती, सूक्ष्म सिंचाई, जैविक खेती और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की सलाह दी। साथ ही जलवायु परिवर्तन, सब्जी भंडारण और कीट-रोग प्रतिरोधी किस्मों के विकास जैसी चुनौतियों पर चर्चा की। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. कुलदीप श्रीवास्तव ने किया, संचालन डॉ. धनंजय प्रताप सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अर्चना सान्याल ने किया।
किसानों को उद्यमिता और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की सलाह
विशिष्ट अतिथि गुलाब प्रसाद ने किसानों से मूल्य संवर्धन, भंडारण तकनीकों और सरकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आईआईवीआर द्वारा विकसित उन्नत बीजों और सब्जी प्रजातियों का उपयोग कर किसान अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं।
तकनीकी प्रदर्शनी और वैज्ञानिकों की उपस्थिति
गोष्ठी के दौरान आईआईवीआर द्वारा विकसित सब्जी तकनीकों और कृषक उत्पादन संगठन 'एग्रीमित्रा' के उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस अवसर पर डॉ. राजेश कुमार, डॉ. अनंत बहादुर, डॉ. अरविंद नाथ सिंह समेत कई वैज्ञानिक, शोध छात्र और संस्थान के कर्मचारी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / गिरजा शंकर मिश्रा