किशोरी को अधमरा कर जंगल में फेंकने वाले चालक को चार साल की सजा, जुर्माना

दुमका, 5 अगस्त (हि.स.)। किशोरी को उसके रिश्तेदार के घर पहुंचाने के बहाने गलत हरकत करने और विरोध करने पर पैर तोड़कर अधमरा समझकर 25 किलोमीटर दूर जंगल में फेंकने वाले आटो चालक को अदालत ने सोमवार को सजा सुनाई। सजा प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष अदालत रमेश चंद्रा की अदालत ने सुनाया।

न्यायालय ने दिग्घी ओपी थाना क्षेत्र के गोलपुर निवासी आटो चालक चितरंजन मिर्धा उर्फ पियुष मिर्धा को चार साल और छह हजार रुपया जुर्माना की सजा सुनाई। जुर्माना की राशि जमा नहीं करने पर अभियुक्त को तीन माह की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। मामले में लोक अभियोजक चंपा कुमारी ने बताया कि किशोरी जरमुंडी की रहने वाली है। बीते 20 अगस्त 22 को वह रामगढ़ में रहने वाले रिश्तेदार के घर जाने के लिए बासुकीनाथ बस स्टैंड आई। आटो चालक ने आकर पूछा कहां जाना है। जब किशोरी ने रामगढ़ की बात कही तो कहा कि वह भी वहां जा रहा है। आटो में पहले से एक लड़की को बैठा देख, वह भी चढ़ गई।

बासुकीनाथ और रामगढ़ के बीच एक सुनसान जगह पर वाहन रोककर दूसरी लड़की से गलत हरकत किया, तो वह उतरकर चली गई। उसके जाते ही गलत नीयत से पीड़िता का हाथ पकड़ा तो वह शोर मचाने लगी। उसके बाद आरोपी चालक ने किशोरी की जमकर पिटाई करने के बाद लोहे की रड से प्रहार एक पैर तोड़ दिया। बेहोश होने के बाद दुमका आया और मुड़ाबहाल के जंगल में लाकर फेंक दिया। अगले दिन ग्रामीणों ने बेहोश पड़ा देख पुलिस को सूचित किया। पुलिस मोबाइल के आधार पर पुलिस ने सात दिन के अंदर चालक की पहचान कर उसे गिरफ्तार करने में सफल रही। होश में आने के बाद पुलिस ने पीड़िता का बयान दर्ज किया। अदालत ने नौ गवाह का बयान और साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त चितरंजन मिर्धा को दोषी करार दिया।

हिन्दुस्थान समाचार / नीरज कुमार / शारदा वन्दना

   

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