उत्तराखंड सरकार ने उत्तर प्रदेश के विधायक राजा भैया की पत्नी की जमीन किया निहित

नैनीताल, 12 अक्टूबर (हि.स.)। जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश के बाहुबली,जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के मुखिया और कुंडा के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह की नैनीताल जनपद में बेतालघाट ब्लॉक में गरमपानी-मझेड़ा के पास स्थित सिल्टोना गांव में स्थित 27.5 नाली (आधे हेक्टेयर से अधिक) यानी 0.555 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार में निहित कर दिया है। इस कार्रवाई के तहत कृषि प्रयोजन के लिए ली गई यह भूमि पिछले दो वर्षों से कृषि न होने के कारण राज्य सरकार के अधिकार में ली गई है।

मुख्यमंत्री धामी के निर्देशों के बाद राज्य के बाहर के रहने व्यक्ति नगर क्षेत्र से बाहर 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि एक ही व्यक्ति या परिवार की ओर से खरीद की जांच की जा रही है। लेकिन इससे पहले ही नैनीताल जनपद में की गयी एक भूमि की जांच में पाया गया कि भूमि जिस उद्देश्य के लिए ली गई थी, उस उद्देश्य का पालन नहीं हो रहा था। ऐसे में सरकार ने इसे भूमि अधिनियमों के तहत राज्य में निहित करने का निर्णय लिया और अब इसे राज्य सरकार ने अपने अधिकार में ले भी लिया है।

श्री कैंची धाम के उपजिलाधिकारी विपिन पंत ने बताया कि 25 जून 2024 को कलेक्टर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 उत्तराखंड की धारा 167 के अंतर्गत 0.555 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार में निहित करने के आदेश दिए थे। इसके बाद प्रशासन ने भूमि को अपने कब्जे में ले लिया और दस्तावेजों में भी इसका अंकन कर लिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 17 साल पहले 17 अगस्त 2006 को विधायक राजा भैया ने अपनी पत्नी भानवी सिंह निवासी 05 मदरी हाउस शाहनवाज रोड लखनऊ के नाम से सिल्टोना गांव में 27.5 नाली (आधे हेक्टेयर से अधिक) यानी 0.555 हेक्टेयर भूमि आनंद बल्लभ नामक स्थानीय निवासी से कृषि के प्रयोजन के लिए क्रय कर रजिस्ट्री कराई थी। दाखिल खारिज में यह भूमि सात खसरों में विशेष श्रेणी 1 (ग) में दर्ज थी। लेकिन पिछले दो वर्षों से इस पर कृषि कार्य नहीं किया जा रहा था। इस पर जिला प्रशासन ने भूमि को राज्य सरकार में निहित करने की प्रक्रिया शुरू करने का मामला कलेक्टर कोर्ट में चला। इसके विरोध में भानवी सिंह ने 27 जुलाई 2012 को राजस्व बोर्ड में अपील की थी। जहां से इसे वापस कलेक्टर कोर्ट में भेज दिया गया।

इधर, 25 जून 2024 को कलेक्टर कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि अधिनियम 1950 उत्तराखंड की धारा 167 के अंतर्गत 0.555 हेक्टेयर भूमि को सरकार में निहीत करने के आदेश दिए गए थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने भूमि निहित करने की प्रक्रिया शुरू की और अब भूमि पर प्रशासन ने कब्जा कर लिया है और यह भूमि दस्तावेजों में भी प्रशासन के नाम पर दर्ज हो गई है।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

सम्बंधित खबर