बीएचयू में स्पंदन के मंच पर दिखी महाकुंभ की अलौकिकता, भगवान राम की महिमा

बीएचयू स्पंदन कार्यक्रम में शामिल प्रतिभागी

—सांस्कृतिक निशा में संगीत, नृत्य, नाटक, ललित कला, और साहित्य की विभिन्न विधाओं में विद्यार्थियों ने दिखाई प्रतिभा

वाराणसी,04 मार्च (हि.स.)। प्रयागराज महाकुंभ 2025 भले ही औपचारिक रूप से सम्पन्न हो गया हो, लेकिन इस महा आयोजन को लेकर रोमांच व श्रद्धा भाव अभी भी युवाओं में है। मंगलवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय(बीएचयू)के युवा महोत्सव स्पंदन के मंच पर महाकुंभ के महात्म्य की झलक मिली तो दर्शक भी अभिभूत हो उठे। बीएचयू महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने संगम की धरती की अलौकिकता को नाटिका के माध्यम से प्रस्तुत किया। नाटक प्रतियोगिता की शुरुआत ‘महाकुंभः एक सांस्कृतिक विरासत’ विषय पर प्रस्तुति के साथ हुई।

महोत्सव में दूसरे दिन हुई प्रस्तुतियों में कुल 12 संकायों, संस्थानों और महाविद्यालयों ने प्रतिभागिता की। किसी ने प्रेमचंद की कहानी, तो किसी ने शिक्षा द्वारा अनदेखे चेहरे एवं अनकहे जज्बात विषय को अभिव्यक्त किया। परिसर स्थित मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र भी जीवंत मंच का गवाह बना, जब सामाजिक कथाएं लघु नाटकों के माध्यम से प्रस्तुत की गईं। विद्यार्थियों ने सामाजिक पहलुओं पर लघु नाटकों का प्रदर्शन किया, जिनमें मुख्य रूप से गरीब किसानों की समस्याएं, बदलता पारिवारिक ढांचा, अव्यवस्थित शादियां और भ्रष्टाचार जैसे विषय शामिल थे। “तुम उठो सिया श्रृंगार करो, शिव धनुष राम ने तोड़ा है” - कृषि शताब्दी प्रेक्षागृह में प्रतिभागियों ने जैसे ही इस पंक्ति को स्वर दिया, श्रोता राममय हो गए। तो वहीं, होली खेले रघुबीरा अवध में के सुरबद्ध होते ही पूरा सभागार होली के रंग में रंग गया। भारतीय संगीत प्रतियोगिता में कुल 11 टीमों ने हिस्सा लिया। वहीं, के. एन. उडुपा सभागार में पश्चिमी ग्रुप संगीत प्रतियोगिता में बीट बॉक्सिंग, क्लैप बॉक्स, कैरिओक, इलेक्ट्रिक गिटार से सजे संगीत पर 13 टीमों ने पश्चिमी गीतों को स्वर दिया। इसके अलावा एकल पश्चिमी संगीत में कुल 20 प्रतियोगियों ने अपने गले के हुनर को दिखाया।

महामना हॉल, सेमिनार कॉम्पलेक्स, में हुई माइम प्रतियोगिता की औपचारिक शुरूआत करते हुए प्रो. पी. दिवेदी ने कहा कि बिना बोले भी अपनी भावनाओं को अभिव्यकत किया जा सकता है। और इसी भाव को प्रदर्शित किया 13 टीमों ने जिन्होंने सिर्फ इशारे से समाज के विविध पहलुओं को मंच पर प्रकट किया। पं. ओमकार नाथ ठाकुर प्रेक्षागृह में प्रतिभागियों ने ताल कहरवा, चारूकेशी राग, तीन ताल, और ओडिशी व घागरा मिक्स पर जब तबले पर अपनी उंगलियों को थिरकाया तो पूरा प्रेक्षागृह सम्मोहित दिखा। एक अन्य प्रतियोगिता में सितार, वॉयलन और बासुरी की कर्णप्रिय ध्वनियों से प्रेक्षागृह में बैठे श्रोता अभिभूत हो उठे। इस प्रतियोगिता में कुल 13 प्रतिभागियों ने अपने सांसों और ऊंगलियों के लयबद्ध कौशल का समागम किया।

बीत गया बचपन मेरा जवानी की तैयारी में, पक्ष-प्रतिपक्ष प्रतियोगिता में बाल मजदूरी के विषय पर आदित्य ने कहा कि सोना जीवन भर तपेगा तो पहनेगा कौन। विधि संकाय के फैकल्टी लाउंज में हुई इस प्रतियोगिता में कुल 21 प्रतिभागियों ने अलग-अलग विषयों पर अपने विचार रखे। इसी तरह रंग, ब्रश और पेंसिल के हुनरबाजों ने ललित कला की कार्टून, रंगोली, ऑन द स्पॉट पेंटिंग और कोलाज विधाओं में अपना हुनर दिखाया। दृश्य कला संकाय के प्रदर्शनी हॉल में कार्टूनिंग और कोलाज का आयोजन किया गया। कार्टूनिंग में कुल 16 प्रतिभागियों ने ‘स्वच्छ भारत और विकसित भारत’ विषय पर अपने पेंसिल और ब्रश के धार को दिखाया। वहीं ‘महाकुंभ’ के विषय पर आयोजित कोलाज प्रतियोगिता में 13 प्रतिभागियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। इसके अलावा स्वंत्रता भवन में रंगोली और मालवीय भवन में ऑन द स्पॉट पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। रंगोली का विषय था ‘स्पंदन’। रंगोली बनाने के लिए प्रतिभागियों नें मार्बल डस्ट, अबीर और रंग का इस्तेमाल किया। ऑन द स्पॉट पेंटिग में 18 विद्यार्थियों ने ‘श्री विश्वनाथ मंदिर और वाराणसी के गंगा घाट’ की छवियां कैनवास पर उकेरीं।

इसी क्रम में एम्फीथिएटर ग्राउंड में, विद्यार्थों ने कई ज्वलंत मुद्दों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली कोरियोग्राफी में ढाला। उनकी भाव-भंगिमाएं अंधी समाजव्यवस्था, जीवन के पांच तत्वों का संतुलन और महिला सुरक्षा की आवश्यकता जैसे महत्वपूर्ण विषयों की सजीव तस्वीरें उकेर रही थीं।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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