मानव कल्याण के लिए होनी चाहिए भक्ति : पंडित अतुलकृष्ण महाराज
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- Jan 06, 2025
धमतरी, 6 जनवरी (हि.स.)। पुरानी कृषि उपज मंडी में आयोजित नौ दिवसीय रामकथा में कथावाचक पंडित अतुलकृष्ण महाराज ने कहा कि सृष्टि के सभी अंश में परमात्मा का वास है। उसे चाहे किसी भी रूप में पूजे भगवान ही मिलेगा। भगवान की भक्ति निःस्वार्थ भाव से होनी चाहिए। काम, क्रोध, पद लोभ से मुक्त की गई भक्ति स्वीकार्य नहीं है। भक्ति मानव कल्याण के लिए होनी चाहिए।
पंडित अतुलकृष्ण महाराज ने आगे कहा कि धर्म वही है जो प्रेम सिखाता है। धर्म कभी नफरत नहीं सिखाता। परमात्मा एक है लेकिन भगवान के नाम पर लड़ाई हो रही है। लोग एक दूसरे को मार रहे हैं। यह धर्म नहीं है अधर्म है। किसी भी व्यक्ति, संगठन को गलत मत कहो। तुम अपना धर्म मानो। उन्हें अपना मानने दो। भगवान सबको मिलेगा। धर्म हमें सिखाता है कि प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो। महाराज ने जन्म-मृत्यु के बंधन पर कहा कि पूर्व जन्मों के कर्म का फल जरूर मिलता है। श्रेष्ठ कर्म करने वाला पुनर्जन्म लेकर सुख भोगता है। बुरे कर्म का व्यक्ति जीवनभर दुख झेलता है। श्रेष्ठ जन्म प्राप्त करने के लिए अच्छा कर्म करें। परमात्मा ब्रम्हांड के समान अनंत हैं। परमात्मा को कोई नहीं जान सकता। ज्ञानी ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करता। अल्पज्ञानी अहंकारवश होकर ज्ञानी समझते हैं। अज्ञानता से अहंकार आता है और व्यक्ति का नाश हो जाता है। भूमंडल में जब धर्म की हानि होती है तो परमात्मा स्वयं अवतार लेते हैं और सारे अधर्मी का नाश करते है ने जय-विजय की कथा सुनाते हुए बताया कि सनकादि मुनि के श्राप से वे कैसे तीन जन्म तक राक्षस बने और परमात्मा ने उसका उद्धार किया। इस अवसर पर आयाेजन समिति के दीपक लखोटिया, सुबोध राठी, देवेंद्र राठी, नरेंद्र जायसवाल, हर्षद मेहता, निर्मल बरड़िया सहित अन्य उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा