वाराणसी में नृसिंह प्राकट्य महोत्सव संपन्न, जुटे संत

वाराणसी, 12 मई (हि.स.)। सिद्ध पीठ श्री नृसिंह मठ, मणिकर्णिका घाट पर आयोजित त्रिदिवसीय नृसिंह प्राकट्य महोत्सव का समापन सोमवार को भक्ति भाव के साथ हुआ। समापन दिवस पर संत सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें आए संतों ने आध्यात्मिक विचारों की अमृत वर्षा की। इसके बाद भव्य महाप्रसाद वितरण किया गया।

संत सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक गजानन डागें, यक्ष विनायक मंदिर के महंत डॉ. रविशंकर तिवारी तथा अभय सन्यास आश्रम के पूज्य रविन्द्र पुरी महाराज मुख्य रूप से उपस्थित रहे। संत सम्मेलन में रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि “संत का हृदय निर्मल होता है। संत की शरण में जाकर कोई भी व्यक्ति ज्ञानी और व्यवहार कुशल बन सकता है। उनके दर्शन मात्र से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।”

उन्होंने भगवान नृसिंह की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि “भगवान नृसिंह अपने भक्तों के सम्मान की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। स्वयं की निंदा पर मौन रहने वाले भगवान, जब अपने भक्तों का अपमान देखते हैं, तो असुरों का संहार करते हैं।” उन्होंने वैशाख शुक्ल चतुर्दशी के दिन भगवान नृसिंह के प्राकट्य की कथा को विस्तार से बताया कि जब वे आधे मानव और आधे सिंह रूप में प्रकट होकर भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए अत्याचारी असुर हिरण्यकश्यप का वध करते हैं।

मठ के पंडित कामेश्वर पाठक ने जानकारी दी कि महोत्सव के प्रथम दिन रुद्राभिषेक, द्वितीय दिन प्रातःकाल वेद पाठ और सायंकाल भगवान श्री कोलाहल नृसिंह का पूजन, भजन व महाआरती संपन्न हुई। कार्यक्रम का आयोजन विश्व हिंदू परिषद एवं धर्म जागरण न्यास के सहयोग से विगत कई वर्षों से किया जा रहा है। मठ के प्रभारी विजय चौधरी ने बताया कि आयोजन की सफलता में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कई लोगों ने योगदान दिया।

इस अवसर पर राजेश सिंह, परशुराम उपाध्याय, सुरेश जायसवाल, समर्थ केसरी, अनूप महाराज, विकास मेहरा, सुनील गुजराती, पार्षद संजय विश्वंभरी, कमल सिंह, रवि सर्राफ, नलिन नयन मिश्रा, अनुपम खन्ना आदि भी मौजूद रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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