उत्तराखंड यात्रा विकास प्राधिकरण के गठन की प्रक्रिया तेज करें अधिकारी: सतपाल महाराज 

- पर्यटन मंत्री महाराज ने विभागीय अधिकारियाें के साथ की बैठक

- जीएमवीएन-केएमवीएन के एकीकरण में शीघ्रता लाने के निर्देश

देहरादून, 20 नवंबर (हि.स.)। राज्य पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बुधवार को पर्यटन विभाग के अधिकारियाें काे

उत्तराखंड यात्रा विकास प्राधिकरण के गठन प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए। उन्हाेंने गढ़वाल मंडल विकास निगम

(जीएमवीएन) और कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) के एकीकरण में कार्य में भी तेजी लाने के निर्देश दिए।

बुधवार को गढ़ी कैंट स्थित पर्यटन विकास परिषद में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मंत्री महाराज ने कहा कि उत्तराखंड यात्रा विकास प्राधिकरण के गठन के लिए जरूरी कार्यवाही तेज की जाए। जनपद रुद्रप्रयाग स्थित दूरस्थ गांव ब्यूंखी को पर्यटन ग्राम बनाने के अलावा नाथ सर्किट, पांडव सर्किट, विवेकानंद सर्किट और रविंद्र नाथ टैगोर सर्किट बनाने की कवायद भी शुरू की जाए। बैठक के दौरान पर्यटन मंत्री ने कहा कि विदेश भ्रमण के दौरान विभिन्न स्थानों पर यात्रा के दौरान नगद धनराशि देने का प्रावधान नहीं है। इसलिए विदेश भ्रमण के दौरान ट्रैवल कार्ड का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कालीमठ मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि मंदिर की सीढ़ियां काफी खड़ी हैं, जिससे वहां आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीढ़ी के स्टेप को छोटा करने के साथ-साथ बुजुर्गों और दिव्यांगों को मंदिर तक जाने के लिए व्हील चेयर ले जाने के लिए भी व्यवस्था करना बेहद जरूरी है।

बैठक में पर्यटन मंत्री ने पर्यटन अधिकारियों को निर्देश दिए कि टनकपुर होते हुए जनकपुर नेपाल के लिए रघुनाथ की यात्रा और पशुपतिनाथ से त्रियुगीनारायण तक शंकर की बारात के आयोजन के लिए संस्कृति विभाग के साथ मिलकर तैयारियां शुरू की जाएं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से आपसी सद्भाव बढ़ने के साथ-साथ भारत-नेपाल संबंधों में प्रगाढ़ता आएगी।

उन्होंने जनपद रुद्रप्रयाग स्थित प्राचीन मनणामाई मंदिर के स्थलीय विकास के लिए निर्देश देते हुए आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया (एसआई) संरक्षित मंदिरों के जीर्णोद्धार और मरम्मत को लेकर नियमों में शिथिलता के संबंध में केन्द्र सरकार से वार्ता करने को कहा।

उल्लेखनीय है कि एएसआई के कड़े प्रावधानों के चलते संरक्षित मंदिरों की साै मीटर की परिधि में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य पर पाबंदी है। जिस कारण पौराणिक मंदिरों का स्थलीय विकास एवं जीणोद्धार नहीं हो पा रहा है। बैठक के दौरान पर्यटन सचिव सहित विभाग के अनेक अधिकारी मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश कुमार

   

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