देश की कुल घोड़ों की संख्या में से लगभग 70 प्रतिशत घोड़े पहाड़ी क्षेत्रों में : डाॅ. मेहता

बीकानेर, 6 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेरके प्रभागाध्यक्ष डॉ एस सी मेहता नेगुरुवार काे कहा कि देश की कुल घोड़ों की संख्या में से लगभग 70 प्रतिशत घोड़े पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर पर हिमाचल प्रदेश के पशुचिकित्सकों के लिए अश्व रोग निदान, निगरानी एवं प्रबंध पर प्रशिक्षण के माैके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मेहता ने कहा कि यह कार्यक्रम हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के पशुचिकित्सकों के लिए विशेष रूप से आयोजित किया गया है क्योंकि इन प्रदेशों में आज भी बहुत बड़ी संख्या में घोड़े हैं एवं यह घोड़े न केवल वहां के जन जीवन को आसान बना रहे हैं बल्कि आजीविका भी प्रदान कर रहे हैं। इसलिए वहां के पशुचिकित्सकों को इस क्षेत्र में परांगत होने की जरुरत को महसूस किया गया। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों के बारे में प्रकाश डालते हुए बताया कि बहुत कम वैज्ञानिकों को होते हुए भी यह केंद्र पिछले दो वर्षों से लगातार नस्ल संरक्षण पुरस्कार ले कर आया, देश को घोड़ों की आठवीं नस्ल दी एवं स्वदेशी घोड़ों की प्रथम एसएनपी चिप देश को दी। साथ ही घोड़ों में भ्रूण प्रत्यर्पण करने में सफलता प्राप्त की।

मुख्य अतिथि डॉ तरुण कुमार गहलोत, पूर्व निदेशक (क्लिनिक्स), राजुवास ने कहा की पशु चिकित्सा विविधता से भरी हुई है। यहां विभिन्न पशुओं में रिब्स की संख्या अलग अलग होती है, किसी में गाल ब्लेडर है तो किसी में नहीं है, किस में गटरल पाउच है तो किसी में नहीं है, घोड़ा खड़े खड़े सो जाता है, किसी में कोई विशेष हड्डी पाई जाती है तो अन्य में नहीं आदि। ऐसी स्थिति में एक अश्व फिजिशियन बनाना बहुत ही सम्मान का विषय है। उन्होंने अपने व्यवसायिक अनुभवों को प्रशिक्षणार्थियों के साथ साझा किए।

उक्त कार्यक्रम का सञ्चालन प्रशिक्षण समन्वयक डॉ रमेश कुमार ने किया एवं उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान सिखाए जाने वाले विभिन्न विषयों की संक्षिप्त जानकारी समारोह में दी। कार्यक्रम में डॉ कुट्टी, डॉ जितेन्द्र सिंह एवं केंद्र के अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजीव

   

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