18वीं बरसी पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को खिराज ए अकीदत पेश,शहनाई की धुन भी गूंजी

बरसी पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खां को खिराज ए अकीदत पेश करते कलाकार, और परिजन:फोटो बच्चा गुप्ता

वाराणसी,21 अगस्त (हि.स.)। शहनाई के शहंशाह भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 18वीं पुण्य तिथि (बरसी) बुधवार को दरगाहे फातमान स्थित उनके मकबरे पर मनाई गई। उस्ताद के मकबरे पर परिजनों के साथ प्रशंसकों ने दुआख्वानी की । कब्र पर पुष्प चढ़ाने के बाद खिराज ए अकीदत पेश की गई। उनकी कब्र पर शहनाई की धुन भी गूंजी।

कार्यक्रम के संयोजक शकील अहमद जादूगर ने पत्रकारों को बताया कि आज ही के दिन 21 अगस्त 2006 को शहनाई के शहंशाह उस्ताद बिस्मिल्लाह खां इस फानी दुनिया से रुखसत हो गए। उन्होंने सरकार की वादाखिलाफी पर नाराजगी जताई। कहा कि कैंट स्टेशन पर आज तक उनकी प्रतिमा लगी और न ही ट्रेनों के वाराणसी कैंट आने पर शहनाई बजती है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सैयद जफर इस्लाम ने वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दूत बन कर उस्ताद के कब्र पर पुष्प अर्पित किया। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय के पुत्र शांतनु राय ने पिता की ओर से उस्ताद के कब्र पर पुष्प अर्पित की और नमन किया। वाराणसी के पूर्व सांसद भाजपा नेता डॉ. राजेश मिश्र ने भी कब्र पर पुष्प चढ़ाया।

गौरतलब हो कि उस्ताद मात्र 06 साल की उम्र से ही बनारस में शहनाई का रियाज करना शुरू किया था। उन्होंने गंगा किनारे बालाजी घाट स्थित मंदिर के सीढ़ियों पर बैठ कर 40 साल तक शहनाई का रियाज किया। कहा जाता है कि भगवान बालाजी का उन्हें आर्शीवाद मिला था। मां गंगा को भी उस्ताद रियाज के समय शहनाई की धुन सुनाते थे। काशी नगरी और मां गंगा उनके दिल में बसती थी। कई इंटरव्यू में उन्होंने खुलकर इसे स्वीकारा था।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी / Siyaram Pandey

   

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