बौद्धिक संपदा अधिकार पर शुरू हुई दो दिवसीय कार्यशाला

गोपेश्वर, 19 सितम्बर (हि.स.)। चमोली जिले के गोपेश्वर महाविद्यालय में बीएड विभाग की ओर से बौद्धिक संपदा अधिकार विषय पर गुरूवार से दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस दाैरान वक्ताआें ने बुग्यालों को बचाने के लिए युवाओं से संयमित एवम संरक्षण की जीवन शैली अपनाने की अपील की।

पर्यावरणविद पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए हिमालय के समक्ष चुनौतियों का जिक्र किया और इसके समाधन के लिए नए विचारों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यशाला के विशिष्ट अतिथि अपर जिलाधिकारी चमोली विवेक प्रकाश ने कहा कि समस्त विकास कार्य पर्यावरण संतुलन को मध्यनजर रखते हुए किए जाने चाहिए। कार्यशाला में ऑनलाइन मुख्य व्याख्यान देते हुए गढ़वाल विश्वविद्यालय के डॉ. रामकुमार साहू ने बताया कि हर मौलिक विचार किसी भी व्यक्ति की निजी संपत्ति की तरह होता है और अन्य व्यक्ति किसी भी रूप में उस विचार एवं अनुसंधान को अपने नाम से प्रकाशित नहीं कर सकता है।

कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य प्रो.केएस नेगी ने कहा कि आने वाला समय बौद्धिक संपदा का है और इस पर ऐसी कार्यशाला आयोजित की जानी चाहिए।

विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद एवं उद्यमी राकेश गैरोला ने कहा कि उत्तराखंड जैव विविधता के दृष्टिकोण से एक समृद्ध राज्य है इसलिए यहां की कई भोजन शैलियां पेटेंट की जानी चाहिए। इस मौके पर जड़ी बूटी शोध संस्थान चमोली के वैज्ञानिक डॉ. अरविंद भंडारी ने जियो टेक के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम में डॉ. भावना पाल, कार्यक्रम संयोजक प्रो. एके जायसवाल, डॉ. विधि ध्यानी, डा. डीएस नेगी, प्रो. चंद्रावती जोशी, डॉ. सरिता पंवार, डॉ. सबज कुमार, डॉ. अखिल चमोली, डॉ. हिमांशु बहुगुणा, डॉ. श्याम लाल बटियाटा, डॉ. चंद्रेश, डॉ. सौरभ रावत, डॉ. राजकुमार कश्यप, डॉ. अखिलेश कुकरेती, डॉ. रंजू बिष्ट, आदि मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / जगदीश पोखरियाल

   

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