मैथिली शब्द लोक तत्वाधान में ललन झा रचित दो कविता संग्रह का हुआ लोकार्पण

सहरसा, 5 अगस्त (हि.स.)।

साहित्यिक,सामाजिक आ सांस्कृतिक संस्था मैथिली शब्द लोक के तत्वावधान में प्रमंडलीय पुस्तकालय सहरसा में ललन झा रचित दो कविता संग्रह मैथिली में 'सुन भेल गाम' एवं हिन्दी में 'उनकी याद मे' लोकार्पण एवं परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस अवसर पर डा. राम चैतन्य धीरज ने मेरी समझ से दर्शन के बिना साहित्य में भटकाव आ जाता है।विश्व स्तर पर संघर्ष के इतिहास का साहित्य पर व्यापक असर पड़ा और इसके अग्रणी दार्शनिक कार्ल मार्क्स हुए। शांति के पक्ष में वेदांत का भी व्यापक असर पड़ा।महात्मा गाँधी का संघर्ष भी सत्य अहिंसा आधारित जन मुक्ति का था ।

दोनो महापुरुष के संघर्ष का प्रभाव साहित्यिक आन्दोलन पर पडा जो आज भी उतना ही प्रासंगिक है। ललन जी की कविता मे आत्म संघर्ष का व्यापक प्रभाव है।समाज और इसके बिखरते स्वरूप तथा संवेदनहीन होते सामाजिक व्यवस्था पर इन्होंने करारा प्रहार करते बहुत ही महत्वपूर्ण रूप से संघर्ष को आयाम दिया है।ललन झा की कविता बदलते समय व्यवस्था का मार्मिक दस्तावेज है।

मुख्य अतिथि सहरसा की महापौर बैन प्रिया ने कवि ललन को सहरसा के पुर्व विधायक दिवंगत संजीव झा द्वारा यहां के दलित व पिछड़े वर्ग के हित में तन, मन व लगन से काम करने, जनसरोकार की समस्याओं को लेकर सत्तापक्ष के विरूद्ध सदा मुट्ठी बांध कर आंदोलन हेतु खड़ा रहने, और सभी जाति और समुदाय के लोगों के बीच सद्भावना एवं सौहार्द के लिए काम करने के विषय वस्तु पर लिखी कविता हेतु हार्दिक धन्यवाद दिया।

उन्होंने ललन जी के काव्य कर्म की सराहना करते हुए नई पीढ़ी के लिए प्रेरक बताया।कविजी नीरज ने कहा कि ललन की कविताएं ग्राम जीवन की समस्याओं का मौलिक विवरण प्रस्तुत करती है। यदि वे इनके समाधान पक्ष को भी अपने लेखन में समायोजित करते तो कविताओं की प्रासांगिकता और भी विलक्षण हो जाता।साहित्यकार मुक्तेश्वर मुकेश ने कहा कि यद्यपि यह कवि ललन की पहली कृति है।

हिन्दुस्थान समाचार / अजय कुमार / गोविंद चौधरी

   

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