केंद्र की प्रस्तावित अग्रिम बिजली खरीद प्रस्ताव का उपभोक्ता परिषद व पावर कारपोरेशन ने किया विरोध

लखनऊ, 14 अगस्त (हि.स.)।केंद्र सरकार के निर्देश पर सभी

राज्यों में बनाए जा रहे रिसोर्स एडेक्वेसी फ्रेमवर्क

के प्रस्तावित रेगुलेशन पर बुधवार को विद्युत नियामक आयोग में आम जनता की सार्वजनिक सुनवाई संपन्न हुई। इसमें पहली बार ऐसा हुआ जब उत्तर प्रदेश

पावर कॉरपोरेशन यूपीएसएलडीसी व उपभोक्ता परिषद एक साथ खडे- दिखे और इसका विरोध किया। आज की सार्वजनिक सुनवाई विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार की

अध्यक्षता में सदस्य संजय कुमार सिंह की उपस्थिति में संपन्न हुई, जिसमें

यूपीएसएलडीसी के निदेशक सहित पावर कारपोरेशन के अनेक मुख्य अभियंता व उपभोक्ता

परिषद अध्यक्ष ने भाग लिया। यह कानून बनने के बाद से उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं

की बिजली दरों में बढोतरी होगी, क्योंकि न चाह कर भी महंगी बिजली

खरीदना पड़ेगा।

केंद्र सरकार चाहता है कि सभी राज्य भविष्य के लिए बिजली की मांग का आकलन करते

हुए मांग को पूरा करने के लिए अग्रिम बिजली खरीद की पूरी योजना अनुबंध सहित

दिशा निर्देश हेतु कानून बनाए। इसके संबंध में प्रस्तावित कानून पर

आज उत्तर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई संपन्न हुई ।बैठक पर कोई

निर्णय न होने के बाद एक बार पुनः विद्युत नियामक आयोग ने सभी पक्षों से कहा कि वह

इस पर और भी जो कहना चाहते हैं वह पूरी तैयारी के साथ सितंबर में एक बैठक बुलाई

जाएगी, उसमें अपनी बात रखें फिर जनहित में इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता

परिषद के अध्यक्ष व राज्य सरकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि भारत

सरकार के निर्देश पर बनाया जा रहा है। यह कानून प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र को

तबाह कर देगा। उपभोक्ता

परिषद अध्यक्ष ने अपनी बात आगे रखते हुए कहा कि वर्तमान में वर्ष 2023 -24 की बात करें तो पूरे देश में उत्पादन

की कुल स्थापित क्षमता 4 लाख 41हजार 59 मेगावाट है और बात करें जुलाई 2024 में पूरे देश में जो बिजली की कुल मांग

थी वह 2 लाख 27479 मेगावाट थी यानी कि लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन इकाई बनकर तैयार है

लेकिन वह बंद है। क्योंकि

देश में बिजली की आवश्यकता ही नहीं है, वह महंगी बिजली वाले उत्पादन इकाइयां है वही

बात करें उत्तर प्रदेश की तो उत्तर प्रदेश में वर्ष 2023-24 में कुल बिजली की जो साल भर में

आवश्यकता थी वह एक 1 लाख 48791 मिलियन यूनिट थी और वही जो उत्तर

प्रदेश में उपलब्धता थी, वह 1 लाख 48287 मिलियन

यूनिट थी यानी कि लगभग 504 मिलियन

यूनिट की कमी थी।

वहीं दूसरी आेर यूपीएसएलडीसीयूपीएस और पावर कॉरपोरेशन की तरफ से

प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखते हुए कहा या कानून उत्तर प्रदेश में लागू करना बहुत

कठिन है और बिना स्मार्ट मीटर लगे उत्तर देना मुश्किल है और अभी ऐसी स्थिति नहीं

है उत्तर प्रदेश में पहले से ही बडी संख्या में उत्पादन इकाई लगी है। इस कानून को लागू होने से अनावश्यक

फिक्स कॉस्ट पर वर्णन आएगा इसलिए अभी कानून को न लागू किया जाए और बिजली कंपनियों

को कम से कम 2 वर्ष का

वक्त दिया जाए।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय / Siyaram Pandey

   

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