यदि बकाया की वसूली कर ले तो घाटे में चल रहा पावर कारपोरेशन हो जाएगा फायदे में

लखनऊ, 28 नवम्बर (हि.स.)। पावर कारपोरेशन का कुल घाटा एक लाख 10000 करोड़ रुपये है, जिसके कारण वह इस समय पीपीपी माडल पर निजीकरण करने की दुहाई दे रहा है। इसको लेकर अभियंता संघ विरोध दर्ज कर रहा है। वहीं बिजली बिल के रूप में उसका बकाया एक लाख 15825 करोड़ है। इसकी वसूली हो जाय तो घाटे में चल रहा पावर कारपोरेशन 5825 करोड़ के फायदे में हो जाएगा।इसको लेकर उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन जल्दबाजी में निजीकरण जैसे ट्रिपल पी मॉडल को लाकर बिजली निगमो में पैदा कर रहा है। यह सिर्फ सरकार को भ्रम में डालकर पीपी माडल बनाना चाहता है। वह सिर्फ वसूली कर ले तो वह फायदे में हो जाएगा। यह पावर कारपोरेशन के अधिकारियों की लापरवाही है, जो बकाया कि वसूली नहीं कर पा रहे हैं।

उपभोक्ता परिषद का कहना है कि इस बिल की वसूली कर ले तो घाटे का रोना नहीं रोना पड़ेगा और न ही पावर कारपोरेशन को ट्रिपल पी जैसे मॉडल की तलाश करना पड़ेगा। इसलिए पावर कारपोरेशन के पास अभी भी समय है। उसे जिन विद्युत उपभोक्ताओं से बिजली बिल का भुगतान लेना है, उनसे बिजली बिल का भुगतान लेकर और उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता की सेवा दें निजीकरण की जरूरत ही नहीं है ।वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2023-24 में उपभोक्ताओं से वसूली के लिए बकाया डिस्काम वार देखें तो दक्षिणांचल में 24947 करोड़ रुपये, पूर्वांचल में 40962 करोड़, मध्यांचल में 30031 करोड़, पश्चिमांचल में 16017 करोड़, केस्को के क्षेत्र में 3866 करोड़ रुपये बकाया है। यह कुल मिलाकर 115825 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं पर बकाया है। वहीं पावर कारपोरेशन का घाटा वर्तमान में 110000 करोड़ रुपये है। यदि वह अपने बकाया की राशि वसूल लेता है तो वह 5825 करोड़ रुपये के फायदे में हो जाएगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि अभी भी पावर कॉरपोरेशन व उत्तर प्रदेश सरकार के पास पर्याप्त समय है। वह बिजली निगमो में कहां से पैसे की वसूली हो सकती है, कहां से नों टेरिफ इनकम की जा सकती है। उसे पर ध्यान देते हुए बिजली निगम को आत्मनिर्भर बना सकता है। उपभोक्ता परिषद लगातार इसके लिए लडाई लड रहा है लेकिन बिजली कंपनियां इस पर ध्यान देगी तभी बिजली कंपनियां आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / उपेन्द्र नाथ राय

   

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