ज्योतिषशास्त्र के ज्ञान के लिए पंचांग का बोध जरूरी:डॉ.आमोद दत्त शास्त्री

—शास्त्रार्थ महाविद्यालय में दस दिवसीय ज्योतिष ज्ञान शिविर में जुटे ज्योतिष के विद्यार्थी

वाराणसी,21 नवम्बर (हि.स.)। ज्योतिषाचार्य डॉ.आमोद दत्त शास्त्री ने कहा कि भारतीय ज्योतिष प्रणाली से बनाए तिथि पत्र को पंचांग कहते हैं। ज्योतिष के ज्ञान के लिए पंचांग बोध जरूरी है। पंचांग के पांच अंग हैं। तिथि,वार,नक्षत्र,योग तथा करण। इनके अतिरिक्त विविध मुहूर्त तथा धार्मिक पर्व आदि दिए रहते हैं। इसका महत्व धार्मिक जीवन में काफी मायने रखता है।

डॉ आमोद गुरूवार को दशाश्वमेध स्थित श्री शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित दस दिवसीय ज्योतिष शिविर को संबोधित कर रहे थे। शिविर में जुटे ज्योतिष के विद्यार्थियों को डॉ आमोद ने बताया कि जगत के समस्त पंचांगों की उत्पत्ति प्राचीन काल में धार्मिक क्रियाओं के समय निश्चित करने के लिए हुई है। बाद में इसे सामाजिक उत्सव और वर्तमान काल में राजकीय महत्व के कार्यक्रम भी शामिल किया गया। शिविर में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कृत डॉ.गणेश दत्त शास्त्री ने कहा कि ज्योतिषशास्त्र का काफी महत्व है। इसके बिना मांगलिक व शुभारंभ कार्य गलत माना जाता है। प्राथमिक ज्ञान के लिए इस प्रकार के शिविर का आयोजन आवश्यक है। शिविर के प्रशिक्षक व ज्योतिष शास्त्र के विद्वान डॉ.संजय उपाध्याय ने कहा कि इन दस दिनों में विद्यार्थियों को पंचांग के बारे में सिखाया जाएगा। जिससे छात्र कभी भी कहीं भी इसके उपयोग के द्वारा काल,तिथि, ग्रहण सहित अन्य ज्योतिषीय गणना क्षण भर में आसानी से कर सकेंगे।

प्राचार्य व कार्यक्रम संयोजक डॉ.पवन कुमार शुक्ल ने बताया कि शिविर में प्रथम दिन 65 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। छात्र संख्या बढ़ने पर इस कार्यशाला का समय भी आगे के दिनों तक बढ़ा दिया जाएगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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