साहित्य अकादमी का छह दिवसीय साहित्योत्सव सात मार्च से, 50 से अधिक भाषाओं का होगा प्रतिनिधित्व

नई दिल्ली, 5 मार्च (हि.स.)। साहित्य अकादमी के साहित्योत्सव-2025 का आयोजन यहां के फिरोजशाह रोड स्थित रवीन्द्र भवन में 7 से 12 मार्च तक किया जाएगा। केंद्रीय संस्कृति एवं पयर्टन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत इसका उद्घाटन करेंगे। इस साहित्योत्सव में पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और गोवा के राज्यपाल पीएस. श्रीधरन पिल्लै विशेष रूप से भाग ले रहे हैं। यह जानकारी साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में दी।

डॉ. श्रीनिवासराव ने बताया कि पिछली बार का साहित्योत्सव-2024 दुनिया का सबसे बड़ा साहित्योत्सव था। इस वर्ष का साहित्योत्सव-2025 एशिया का सबसे बड़ा साहित्य उत्सव होगा। इस साहित्योत्सव में 100 से अधिक सत्रों में 700 से अधिक प्रसिद्ध लेखक और विद्वान भाग लेंगे। इसमें देश की 50 से अधिक भाषाओं का भी प्रतिनिधित्व होगा।

साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण साहित्य अकादमी पुरस्कार 2024 अर्पण समारोह होगा, जो 8 मार्च को कमानी सभागार में शाम 05 बजे होगा। इस पुरस्कार-अर्पण समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात अंग्रेजी नाटककार महेश दत्तानी होंगे। प्रतिष्ठित संवत्सर व्याख्यान प्रख्यात अंग्रेजी लेखक उपमन्यु चटर्जी द्वारा 9 मार्च को शाम 6.30 बजे मेघदूत मुक्ताकाशी मंच पर होगा। छह दिवसीय इस साहित्योत्सव में इस बार की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय है- भारतीय साहित्यिक परंपराएं: विरासत और विकास। इसके अतिरिक्त प्रख्यात मलयालम लेखक ओमचेरी एनएन पिल्लै जन्मशतवार्षिकी संगोष्ठी, मोहन राकेश जन्मशतवार्षिकी संगोष्ठी, प्रख्यात गीतकार गोपालदास नीरज के गीतों पर चर्चा, जितेंद्र भाटिया के साथ कथासंधि तथा लेखक से भेंट के अंतर्गत सुबोध सरकार से रूबरू कराया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अंतर्गत राकेश चौरसिया द्वारा बांसुरी वादन, फ़ौज़िया दास्तानगो द्वारा दास्तान-ए-महाभारत तथा नलिनी जोशी द्वारा हिंदुस्तानी गायन प्रस्तुत किया जाएगा।

भारतीय नदियों के नाम पर निर्मित किए गए सभागारों में सुबह 10 से शाम 06 बजे तक विभिन्न कार्यक्रमों में बहुभाषी कहानी-पाठ, पूर्वोत्तरी, उत्तर-पूर्वी लेखक सम्मेलन, बहुभाषी कविता-पाठ, युवा साहिती और एलजीबीटीक्यू लेखक सम्मेलन के अतिरिक्त भारत में आत्मकथात्मक साहित्य, भारत की साहित्यिक कृतियों में लुप्त होता ग्रामीण समाज, विभाजन पर केंद्रित भारतीय साहित्य, अनुवाद में संस्कृति चित्रण, सिनेमा के लिए फिल्माई गई साहित्यिक कृतियां, साहित्य की सार्वभौमिकता, वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में भारतीय साहित्य, स्वातंत्र्योत्तर भारतीय साहित्य में राष्ट्रीयता आदि विषयों पर चर्चा होगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / Dhirender Yadav

   

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