पीड़ित की जमीन पर सुनवाई से न्याय बनता है सरल और पारदर्शी : एसडीएम

कानपुर, 13 दिसंबर (हि.स.)। आम व्यक्ति को कानूनी प्रक्रियाओं की पूरी जानकारी नहीं होती, ऐसे में यदि उसे उसकी जमीन पर, उसकी उपस्थिति में सुना जाए तो न्याय सहज, सरल और पारदर्शी बनता है। इससे प्रशासन और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है और फैसलों पर भरोसा बढ़ता है। यह बातें शनिवार को उपजिलाधिकारी अबिचल प्रताप सिंह ने कही।

राष्ट्रीय लोक अदालत के अवसर पर तहसील घाटमपुर में शनिवार को राजस्व प्रशासन ने एक प्रभावी और जनोन्मुखी पहल करते हुए ग्रामीण न्याय की नई मिसाल पेश की। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत बंटवारा वाद, अभिलेख दुरुस्ती और विवादित वरासत से जुड़े मामलों के निस्तारण का विशेष अभियान चलाया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत तहसील न्यायालय में हुई, जहां अधिवक्ताओं और फरियादियों की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा 32 और 38 के अंतर्गत विभिन्न वादों की सुनवाई कर उनका निस्तारण किया गया। इसके बाद प्रशासनिक पहल न्यायालय की चारदीवारी से बाहर निकलकर गांवों तक पहुंची।

उपजिलाधिकारी घाटमपुर अबिचल प्रताप सिंह ने आम आदमी को खेत की मेड़ पर न्याय की अवधारणा को व्यवहार में उतारते हुए तहसील क्षेत्र के विभिन्न गांवों में लगभग 100 किलोमीटर का भ्रमण कर लंबे समय से लंबित बंटवारा विवादों का मौके पर निस्तारण कराया। इस दौरान ऐसे बंटवारा वाद चिह्नित किए गए, जिनमें वर्षों से सहमति नहीं बन पा रही थी।

पक्षकारों की मांग पर स्वयं मौके का जायजा लेते हुए उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 116 और 117 के तहत पक्षों की मौजूदगी में सहमति आधारित निर्णय लिए गए। इस प्रक्रिया में 14 विवादित बंटवारा वादों का निस्तारण किया गया, जिनमें कई मामले पांच वर्षों से लंबित थे। खेत-मेड़ पर ही निर्णय होने से पक्षकारों में संतोष और न्याय प्रक्रिया पर विश्वास देखने को मिला।

इसी क्रम में तहसीलदार अंकिता पाठक ने प्रशासन आपके ग्राम अभियान के तहत ग्राम हरबसपुर और धमना बुजुर्ग पहुंचकर 11 विवादित वरासत मामलों की जांच कर उनका निस्तारण किया। इससे ग्रामीणों को तहसील और कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए बिना ही राहत मिली। इसके अतिरिक्त नायब तहसीलदारों के न्यायालयों में भी विभिन्न मामलों का निस्तारण किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित कश्यप

   

सम्बंधित खबर