उत्तराखंड बार काउंसिल ने की नये प्राविधानों को वापस लेने की मांग

नैनीताल, 6 मार्च (हि.स.)। उत्तराखंड राज्य में लागू राज्य सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता में रजिस्ट्री, वसीयत व अन्य विलेखों को ऑनलाइन और पेपरलेस किए जाने का प्रावधान किया गया है। इस प्रावधान को लेकर बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड ने गंभीर आपत्ति जताई है और इसे अव्यवहारिक तथा अधिवक्ताओं एवं पीटिशन राइटरों के हितों के प्रतिकूल बताया है। इस संबंध में गुरुवार को आयोजित बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड की वर्चुअल बैठक में सर्वसम्मति से इन प्रावधानों को शीघ्र वापस लेने और पूर्व की प्रक्रिया को बहाल करने का अनुरोध किया जाएगा।

बार काउंसिल ऑफ उत्तराखंड के चेयरमैन डॉ. महेंद्र सिंह पाल व सदस्य सचिव मेहरमान सिंह कोरंगा ने साफ किया है कि यदि सरकार इन प्रावधानों को वापस नहीं लेती है, तो प्रदेशभर के अधिवक्ता, पीटिशन राइटर, अन्य संगठन एवं जनता के सहयोग से व्यापक स्तर पर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा। इसी क्रम में आगामी 10 मार्च 2025 को कुमाऊं और गढ़वाल के मंडलायुक्तों को प्रत्यावेदन सौंपा जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी

   

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