'प्लांटिंग मैटेरियल और नॉलेज हब' बनेगा उत्तराखंड : मुख्य सचिव
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- Oct 19, 2024
- हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने की तैयारी
- राज्य सरकार तैयार कर रही 'नदी जोड़ो परियोजना' की रूपरेखा
- गेम चेंजर साबित होगी परियोजना, पड़ोसी राज्यों को भी मिलेगा लाभ
देहरादून, 19 अक्टूबर (हि.स.)। उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी को उत्तराखंड सरकार द्वारा जनहित में किए गए अभिनव प्रयास एवं उपलब्धियों की जानकारी दी। सचिवालय में शनिवार को आयोजित बैठक में मुख्य सचिव ने आयोग के समक्ष उत्तराखंड राज्य की विशेष परिस्थितियों के संदर्भ में अपेक्षित बिंदुओं को रखा।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कहा कि राज्य के जल स्रोतों एवं नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए सारा (स्प्रिंग एंड रिवर रिजुवेंटेशन अथॉरिटी) का गठन कर अब तक 5428 स्रोतों का जल संरक्षण-संवर्धन कर पुनर्जीवीकरण किया गया है जबकि 228 वर्षा कालीन छोटी-बड़ी नदियों का जलग्रहण उपचार कर पुनर्जीवित किया गया है। राज्य सरकार हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़े जाने की एक महत्वाकांक्षी परियोजना 'नदी जोड़ो परियोजना' की रूपरेखा तैयार कर रही है। इसके दीर्घकालिक परिणाम गेम चेंजर साबित होंगे। इसका लाभ प्रदेश को ही नहीं, पड़ोसी राज्यों को भी मिलेगा। 'नदी-जोड़ो परियोजना' के क्रियान्वयन के लिए अत्यधिक धनराशि की आवश्यकता है। इसके लिए नीति आयोग भारत सरकार से तकनीकी सहयोग की आवश्यकता है।
इन्क्यूबेशन सेंटर के लिए तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग की अपेक्षा
मुख्य सचिव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर आधारित ग्रामीण ऊष्मायन केंद्र स्थापित करने के लिए प्रारंभ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दो ग्रामीण ऊष्मायन केंद्र स्थापित किए हैं। द्वितीय चरण में राज्य सरकार समस्त जनपदों में ग्रामीण ऊष्मायन केंद्र स्थापित करने जा रही है। व्यापक स्तर पर इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित करने के लिए भारत सरकार से तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग की अपेक्षा है।
सेतु के संचालन से स्टेट सपोर्ट मिशन को मिलेगा बल
राधा रतूड़ी ने कहा कि भारत सरकार की केंद्र पोषित योजनाओं के लिए 'वन साइज फिट फॉर आल' की परिकल्पना पर आधारित होने के कारण योजनाओं के निर्धारित मानकों को बदलना तथा शिथिलता प्रदान करने के साथ अधिक विकेंद्रीकरण, नियोजन एवं नीतियों की आवश्यकता है। केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय कौशल परिषद व सेक्टर के गठन के दृष्टिगत राज्य में ग्रीन स्किलिंग के साथ ईको टूरिज्म एक्टिविटी के लिए नीति आयोग से तकनीकी सहायता की आवश्यकता है। राज्य सरकार की ओर से नीति आयोग की भांति गठित स्टेट इंस्टीट्यूट फॉर एम्पावरिंग एंड ट्रांसफॉर्मिंग उत्तराखंड (सेतु) के माध्यम से कार्य करना आंरभ कर दिया है। सेतु के संचालन में नीति आयोग द्वारा प्रायोजित स्टेट सपोर्ट मिशन को बल मिलेगा। सेतु आयोग उत्तराखंड में प्रभावी नीति नियोजन के लिए वर्तमान में सलाहकारों, डोमेन एक्सपर्टस, रिचर्स एशोसिएट, इनटर्नशिप के लिए विज्ञापन कर नियुक्तियां की जा रही है।
लैंगिक असमानता दूर करेगी यूसीसी
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड यूसीसी एक्ट लागू किए जाने से महिलाओं को लैंगिक समानता का अधिकार प्राप्त होंगे।
अब तक 75 हजार करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग
राधा रतूड़ी ने कहा कि निवेशकों को आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार ने लगभग 25 निवेशोन्मुखी नीतियां (इनवेस्टर फ्रेंडली पॉलिसी) बनाई है। इसके अंतर्गत राज्य की निवेशक केंद्रित नीतियां, बुनियादी ढांचे में निवेश, कुशल जनशक्ति की उपलब्धता और सुशासन की नींव वर्ष 2023 में रखने के उपरांत वैश्विक निवेश सम्मेलन में 3.56 लाख करोड़ के एमओयू के सापेक्ष अब तक 75 हजार करोड़ के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। राज्य सरकार विकसित भारत के लक्ष्य में प्रभावी भागीदारी के लिए ऊर्जा, विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा, पर्यटन, वेलनेस तथा हास्पिटलिटी एवं औद्यानिकीकरण पर विशेष फोकस कर रही है।
राज्य को 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी वाली श्रेणी में सम्मिलित करने का अनुरोध
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और आपदाओं के दृष्टिगत हेलीकॉप्टर सेवा को बढ़ावा देना केवल पर्यटन ही नहीं, यातायात की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के संबंध में अनुरोध किया कि पूर्वोत्तर के राज्यों की भांति उत्तराखंड राज्य को भी 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी वाली श्रेणी में सम्मिलित किए जाने के लिए नीति आयोग भारत सरकार के सहयोग की आवश्यकता है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के गाइडलाइंस में लिफ्ट इरिगेशन को भी शामिन करने का आग्रह
मुख्य सचिव ने राज्य के उद्यानिकी विकास के लिए सिंचाई के अन्य विकल्पों के लिए अनुरोध किया कि भारत सरकार की वित्त पोषित 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना' के गाइडलाइंस में लिफ्ट इरिगेशन को भी सम्मिलित करने पर विचार किया जाए। साथ ही पर्वतीय क्षेत्र के जलस्रोतों के ग्रेडिएंट को ध्यान में रखते हुए सोर्स औगमेंटेशन को भी जल जीवन मिशन की गाइडलाइंस में सम्मिलित किए जाने का अनुरोध किया। उत्तराखंड में उच्च गुणवत्तायुक्त 'प्लांटिंग मैटेरियल हब' बनने की प्रबल संभावनाओं के लिए नेशनल हार्टिकल्चर बोर्ड व नेशनल सीड कारपोरेशन से सहयोग की अपेक्षा है, ताकि उत्तराखंड राज्य 'प्लांटिंग मैटेरियल हब' बनकर अन्य राज्यों को भी प्लांटिंग मैटेरियल उपलब्ध करा सके।
नॉलेज हब की राह पर उत्तराखंड के बढ़ते कदम
मुख्य सचिव ने कहा कि उत्तराखंड को 'नॉलेज हब' के रूप में विकसित करने के लिए राज्य सरकार ने सेवा क्षेत्र नीति 2024 प्रख्यापित की है। सेवा क्षेत्र नीति के अंतर्गत शिक्षा, आईटी, डाटा सेंटर, वेलनेस, आयुष, खेल आदि पर विशेष फोकस किया गया है। राज्य में प्रारंभ से ही मसूरी, नैनीताल तथा देहरादून में उत्कृष्ट शिक्षा व्यवस्था रही है। वर्तमान में राज्य में 23 निजी विश्वविद्यालय 12 राज्य, एक केंद्रीय विश्वविद्यालय तथा चार राष्ट्रीय महत्व के संस्थान कार्यरत हैं। राज्य को नॉलेज हब के रूप में विकसित करने के लिए के-12, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को स्थापित करने के लिए सेवा क्षेत्र नीति के अंतर्गत आकर्षक प्रावधान किए गए हैं।
हिमालयी ईको सिस्टम व जलवायु अनुकूल
मुख्य सचिव ने कहा कि हिमालयी पारिस्थतिकी तंत्र दुनिया के सबसे नाजुक और जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है, जो एक बड़ी जनसंख्या के लिए पानी, जैव विवधता तथा ईको सिस्टम सेवाएं प्रदान करता है। हिमालयी पारिस्थतिकी तंत्र को क्लाइमेट रेसीलेंट बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो पर्यावरण संरक्षण, सतत् संसाधन प्रबंधन, आपदा तैयारी और सामुदायिक भागीदारी को एकीकृत करता हो। ग्लेशियरों की निगरानी और संरक्षण के लिए नियमित निगरानी और दीर्घकालिक जल प्रबंधन रणनीतियां विकसित की जा रही है।
मॉडल विलेज विकास योजनाएं ग्रामीण पर्यटन को देंगी बढ़ावा
ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 18 गांवों का थीमेटिक विकास के लिए चिन्हीकरण किया गया है। वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के तहत पिथौरागढ़ के गुंजी एवं चमोली के माणा गांव के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं। इसी प्रकार स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) नई दिल्ली की ओर से उत्तरकाशी में बघोरी और रुद्रप्रयाग में सारी गांव के लिए मॉडल विलेज विकास योजनाएं तैयार की जा रही है।
केदारनाथ और बदरीनाथ की तर्ज पर प्लास्टिक मुक्त होगा उत्तराखंड
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और फूलों की घाटी जैसे स्थानों पर जैव विविधता की क्षति कम करने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं। केदारनाथ और बदरीनाथ जैसे क्षेत्रों को प्लास्टिक मुक्त घोषित किया गया है। इस अभियान को अन्य पर्यटन स्थलों पर भी विस्तारित करने की योजना है।
वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम में 51 गावों का चयन, शिवनगरी थीम पर विकसित होगा गुंजी मनेला
मुख्य सचिव रतूड़ी ने कहा कि वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के अंतर्गत तीन सीमांत जनपदों उत्तरकाशी, चमोली तथा पिथौरागढ़ के पांच विकास खंडों के कुल 51 गावों का चयन किया गया है। उक्त गांवों के विकास के लिए मुख्यतः पर्यटन विकास, आजीविका सृजन, ऊर्जा, सड़क निर्माण, कौशल विकास तथा समाजिक अवस्थानाओं का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। गुंजी मनेला को शिवनगरी थीम पर विकसित किया जा रहा है तथा टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर निर्माण के लिए डीपीआर स्वीकृत हो गई है।
हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण