वास्तव में भगवान ही स्नेह का निर्वाह करना जानते हैं : पं. बृजेश पाठक रामायणी

मुरादाबाद, 22 जून (हि.स.)। बरेली फरीदपुर से पधारे श्री राम कथा वाचक मानस मर्मज्ञ पंडित बृजेश पाठक रामायणी ने शिव शक्ति मंदिर रामगंगा विहार प्रथम में चल रही पांच दिवसीय श्री राम कथा के अंतिम दिन रविवार को कहा कि वास्तव में भगवान ही स्नेह का निर्वाह करना जानते हैं। यूं तो संसार में अनेक स्नेही गली कूंचे में मिलते हैं। प्रश्न यह है कि उनका स्नेह कितनी देर ठहरता है। उनका स्नेह पानी की लकीर की तरह बनता बाद में है और मिट पहले जाता है। संसार में कोई भी जीव का सच्चा स्नेही नहीं है।

पंडित बृजेश पाठक रामायणी ने आगे बताया कि सच्चा स्नेही तो वही हो सकता है, जो सदैव हमारे साथ रहे। लेकिन संसार का कोई भी व्यक्ति सदैव हमारे साथ नहीं रह सकता है। एक दिन या तो हम सामने वाले को छोड़ जाएंगे या सामने वाला हमें छोड़ जाएगा। यहां का कोई संबंध स्थाई नहीं है। एक भगवान ही हमारे सच्चे साथी हैं, सच्चे स्नेही हैं जो सदैव हमारे साथ रहते हैं। भगवान लोक क्या परलोक में भी हमारा साथ देते हैं। इसलिए उनसे संबंध जोड़ना उचित है।

उन्हाेंने कहा कि संबंधों का जैसा निर्वाह भगवान करते हैं वैसा कोई और नहीं कर सकता। रामायण में प्रभु श्रीराम ने जटायुजी से पिता का संबंध बनाया था तो उसका निर्वाह भी किया था। जटायुजी का अंतिम संस्कार पुत्र के रूप में प्रभु राम ने किया। जबकि यह सौभाग्य दशरथजी को प्राप्त नहीं हुआ। भगवान राम ने शबरी को माता बनाया तो उनके अंतिम समय में उपस्थित रहे और अपने आंसुओं से श्रद्धांजलि दी।

कथा के उपरांत आरती हुई उसके बाद प्रसाद वितरित किया गया। व्यवस्था में गोरखनाथ प्रसाद, उमेश चंद्र अग्रवाल, निमित जायसवाल, राधेमोहन शर्मा, ज्ञानचंद गुप्ता, पं. हेमंत भट्ट, पंडित देवेन्द्र ओझा, सुनील शर्मा, रविकांता जायसवाल, मीनाक्षी शर्मा, नीलम शर्मा, महेन्द्र जसूजा, दिनेश चंद्र टंडन आदि उपस्थित रहे।-------------

हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जायसवाल

   

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