उपराष्ट्रपति धनखड़ ने नागरिकों से अंगदान की दिशा में सचेत प्रयास करने का आह्वान किया

दीप प्रज्जवलित करते अतिथि।

- बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया

जयपुर, 18 अगस्त (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नागरिकों से अंगदान की दिशा में सचेत प्रयास करने का आह्वान किया है। उन्हाेंने इसे मानवता की सेवा की महान परंपरा से जोड़ते हुए एक मिशन बनाने की बात की। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने मानव शरीर की महत्ता को व्यापक सामाजिक भलाई के साधन के रूप में रेखांकित किया और कहा कि यह शरीर समाज के व्यापक कल्याण के लिए एक उपकरण बन सकता है।

उपराष्ट्रपति रविवार काे जैन सोशल ग्रुप्स सेंट्रल संथान और दधीचि देहदान समिति की ओर से जयपुर के बिरला सभागार में देहदानियों के परिजनों को सम्मानित करने के माैके पर आयाेजित कार्यक्रम काे संबाेधित कर रहे थे। विश्व अंगदान दिवस की थीम 'बी द रीजन फाॅर समवन स्माइल टुडे' पर प्रकाश डालते हुए धनखड़ ने सभी से आह्वान किया है कि वे अपने समाज की परंपरा को कायम रखते हुए अंगदान को भी इसी भावना से जोड़ें। उन्होंने कहा कि आप ऐसे समाज के सदस्य हैं, जो हर मौके पर हर किसी की मुस्कान का कारण बनते हैं। इस अवसर को भी इस भावना से जोड़ें और संकल्प लें कि हर सप्ताह आप कुछ ऐसा करेंगे, जिससे आपका व्यक्तिगत और पारिवारिक योगदान अंगदान के इस पवित्र कारण में शामिल हो सके।

धनखड़ ने मानव शरीर की महत्ता को व्यापक सामाजिक भलाई के साधन के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि यह शरीर समाज के व्यापक कल्याण के लिए एक उपकरण बन सकता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब आप उनकी मदद करते हैं तो हम उन्हें समाज के लिए एक बोझ से बदलकर एक संपत्ति बना देंगे, जो अंग दान के महत्व को रेखांकित करता है। अंग दान में बढ़ते 'व्यावसायीकरण के वायरस' पर चिंता व्यक्त करते हुए धनखड़ ने जोर दिया कि अंगों को आर्थिक लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए सोचकर दान किया जाना चाहिए। चिकित्सा पेशे को दैवीय व्यवसाय के रूप में संदर्भित करते हुए और कोविड महामारी के दौरान 'स्वास्थ्य योद्धाओं' की निःस्वार्थ सेवा को उजागर करते हुए उन्होंने कहा कि चिकित्सा पेशे में कुछ व्यक्ति अंग दान के महान स्वभाव को कमजोर करते हैं। उन्होंने कहा कि हम अंग दान को कमजोर लोगों के शोषण का क्षेत्र नहीं बनने दे सकते जो चालाक तत्वों के व्यावसायिक लाभ के लिए हो।

उपराष्ट्रपति ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर की याद दिलाते हुए, सभी से आग्रह किया कि वे हमारे शास्त्रों और वेदों में निहित ज्ञान पर विचार करें, जो ज्ञान और मार्गदर्शन का विशाल भंडार हैं। लोकतंत्र में राजनीतिक भिन्नताओं को मान्यता देने के महत्व को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने चेतावनी दी कि ये भिन्नताएँ राष्ट्रीय हित पर कभी भी हावी नहीं होनी चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग मानते हैं कि आपातकाल का काला अध्याय चुनावों के बाद समाप्त हो गया है लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों को याद रखना आवश्यक है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने 'संविधान हत्या दिवस' की पहल की है, ताकि हमारी नई-पीढ़ी को यह पता चल सके कि एक ऐसा कालखंड था जब उनके मौलिक अधिकार नहीं थे और सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए थे। धनखड़ ने विशेष रूप से कॉर्पोरेट्स, व्यापार संघों, और व्यापार नेताओं से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और आयात को केवल उन वस्तुओं तक सीमित करने का आह्वान किया जो अत्यावश्यक हैं।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि अंगदान जीवन दान है। यह गौरवमयी और अद्भुत समारोह भारत की प्राचीन संस्कृति, आदर्श और मूल्यों से जुड़ा हुआ है। पहले लोगों में अंगदान के प्रति भ्रांति थी लेकिन अब लोग अंगदान के महत्व को समझ रहे हैं और उसके लिए प्रेरित हो रहे हैं। एक शरीर से आठ अंगों का दान किया जा सकता है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह अंगदान जैसे महत्वपूर्ण कार्य की प्रक्रिया से जुड़े और आवश्यकता होने पर अंगदान अवश्य करें। अंगदान के प्रति जागरुकता का समाज में प्रसार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह मानवता के लिए प्रेरणादायी कार्य है। प्रत्येक व्यक्ति दृढ़ निश्चय के साथ अंगदान करके और देहदान का प्रण लेकर समाज के लिए प्रेरणा बन सकता है।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने प्रोफेसर स्मृति शर्मा भाटिया की नव प्रकाशित पुस्तक ऑर्गन एंड बॉडी डोनेशन का विमोचन भी किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा समेत कई लाेग मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / ईश्वर / सुनीत निगम

   

सम्बंधित खबर