नपं आमदी में बन रहा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, कार्य में तेजी लाने के निर्देश

धमतरी, 8 अप्रैल (हि.स.)।कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने आठ अप्रैल को जिले के धमतरी विकासखंड के परसतराई ग्राम पंचायत और नगर पंचायत आमदी पहुंचकर विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत रोमा श्रीवास्तव की मौजूदगी में आमदी में बन रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम तेजी से कराने के निर्देश नगर पंचायत के सीएमओ को दिए।

कलेक्टर ने इस प्लांट के काम की धीमी गति पर नाराजगी जताई। उन्होंने वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरी गुणवत्ता के साथ निर्धारित समय सीमा में पूरा करने को कहा। कलेक्टर ने इसके साथ ही बन रहे ओव्हर हेड वाटर टैंक का काम भी तेजी से कराने के निर्देश् दिए। आमदी में अमृत मिशन के तहत लगभग 33 करोड़ रुपये की लागत से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, ओव्हर हेड टैंक और पाईप लाईन विस्तार का काम कराया जा रहा है। इस योजना के पूरा हो जाने पर रूद्री बांध से पानी लेकर आमदी नगर पंचायत क्षेत्र में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जा सकेगी।

इसके बाद कलेक्टर ग्राम पंचायत परसतराई पहुंचे। नवनियुक्त सरंपच और पूर्व सरपंच की मौजूदगी में परसतराई के निवासियों से कलेक्टर ने जल संरक्षण-फसल चक्र परिवर्तन अभियान की सफलता की अनुभव जानी। इस मौके पर उन्होंने ग्राम पंचायत में बने रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, सोकपीट आदि का भी अवलोकन किया। परसतराई के पूर्व सरपंच परमानंद आडिल ने बताया कि कुछ वर्षों पूर्व हमारे गांव में धीरे-धीरे कुएं, नलकूप, जलस्त्रोत सूखने लगे थे, जिससे खेती किसानी सहित पानी की दिक्कत होने लगी। इन परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीणों ने स्वप्रेरणा से जल और पर्यावरण संरक्षित करने के साथ ही फसल चक्र परिवर्तन का फैसला लिया और सभी एकमत होकर कम पानी वाले फसलों को लेने लगे। कलेक्टर मिश्रा ने परसतराई ग्राम पंचायत और उसके निवासियों द्वारा किए गए इन सभी कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आप सभी के सहयोग से ही परसतराई पूरे देश में फसल चक्र परिवर्तन से जल संरक्षण के लिए माडल ग्राम पंचायत के रूप में पहचानी जा रहा है। यहां के सभी नवाचार दूसरे लोगों के लिए भी प्रेरणादायक है।

पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ों पर बांधा गया रक्षा सूत्र:

इस काम में गांव के सभी किसान एक कदम आगे आकर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संरक्षण के लिए गांव के पुराने पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधा गया है और गांव की बालिकाओं के नाम पर लगभग ढाई सौ पौधे भी लगाए गए हैं। गांव से शादी होकर जाने वाली बेटियों और शादी कर गांव में आने वाली बहुओं को उपहार स्वरूप पौधा दिया जाता है, जिसे वे मायके-ससुराल में रोपती हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा

   

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