बंगाल में बिना सरकारी खर्च के नदियों की खुदाई का अनोखा मॉडल तैयार
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- Mar 27, 2025

कोलकाता, 27 मार्च (हि. स.)। पश्चिम बंगाल सरकार ने नदियों और नहरों की खुदाई (ड्रेजिंग) के लिए एक अनोखा मॉडल तैयार किया है, जिससे सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
राज्य के सिंचाई मंत्री मानस भुइयां ने बताया कि इस नई प्रणाली के तहत खुदाई के बाद निकाले गए मलबे पर ठेकेदार सरकार को रॉयल्टी देंगे और साथ ही खुदाई की गई मिट्टी का एक हिस्सा भी सरकार को सौंपेंगे, जिसे विभिन्न विकास कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।
मंत्री ने बताया कि यह मॉडल पश्चिम बंगाल खनिज विकास और व्यापार निगम लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है और इसे 2022-23 से प्रायोगिक तौर पर पांच नदी क्षेत्रों में लागू किया गया है। इस प्रक्रिया से अब तक 180 किलोमीटर जल निकायों, जिनमें 28 नहरें और छोटी नदियां शामिल हैं, को साफ किया गया है और इससे राज्य सरकार को 112 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है।
भुइयां ने बताया कि पहले राज्य सरकार को हर साल लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते थे ताकि 226 किलोमीटर लंबी नदियों और नहरों की खुदाई हो सके। लेकिन अब इस नए मॉडल के तहत ठेकेदार खुदाई के बदले सरकार को रॉयल्टी के साथ-साथ प्रति घन मीटर मिट्टी के लिए एक निश्चित प्रीमियम भी देंगे।
सिंचाई एवं जलमार्ग विभाग के प्रमुख सचिव मनीष जैन ने बताया कि यह देश में अपनी तरह का पहला मॉडल है। राज्य सरकार ने पहले ही विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को इस योजना को लागू करने की अनुमति दे दी है।
भुइयां ने बताया कि केंद्र सरकार पिछले कुछ वर्षों से पश्चिम बंगाल में नदियों और नहरों की खुदाई के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं दे रही है। उन्होंने दावा किया कि पूरे देश के 28 राज्यों के लिए केंद्र ने केवल 412 करोड़ रुपये ही आवंटित किए हैं, जिससे बंगाल को बहुत कम मदद मिलती है।
उन्होंने कहा कि हम केंद्र की सहायता का इंतजार नहीं कर सकते। हर साल बाढ़ नियंत्रण के लिए हमें 500 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इसीलिए हमारे विभाग ने यह नई योजना बनाई है, जिससे बिना किसी अतिरिक्त सरकारी खर्च के जल निकायों की सफाई की जा सकेगी और राजस्व भी अर्जित होगा।
हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर