धमतरी, 18 नवंबर (हि.स.)। प्रशिक्षण लेकर ग्रामीण महिलाएं अंबर चरखा चलाने सीख गई है, लेकिन उन्हें शासन से चरखा नहीं मिल पाया है। 50 महिलाओं में सिर्फ 10 को ही मिल पाया है, ऐसे में शेष महिलाएं अंबर चरखा पाने के लिए कलेक्ट्रेट से लेकर कई दफ्तरों का चक्कर लगा रही है। समय पर चरखा नहीं मिलने से महिलाओं की दिक्कतें बढ़ गई है।
18 नवंबर को कलेकट्रेट कार्यालय पहुंची ग्राम पंचायत नारी की महिला खिलेश्वरी सेन और लता कुंभकार ने बताया कि, मार्च, अप्रैल और मई महीने में खादी ग्रामोद्योग विभाग ने गांव की 30 महिलाओं को चरखा चलाने का प्रशिक्षण दिया है। जिमसें महिला रेणु चक्रधारी, वत्सला साहू, चित्ररेखा, पेमीन साहू, उर्मिला साहू समेत अन्य महिलाएं शामिल हैै। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं को छात्रवृत्ति के रूप में आठ-आठ हजार मिल चुका है, लेकिन अब तक उन्हें अम्बर चरखा नहीं मिला है। इसी तरह नगरी में भी ग्रामोद्योग विभाग द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था। आत्मनिर्भरता की चाह लिए महिलाएं चरखा के लिए ग्रामोद्योग विभाग का चक्कर काटने के लिए मजबूर है।
महिलाओं ने आरोप लगाते हुए बताया है कि, प्रशिक्षण लेने के बाद छात्रवृत्ति तो मिल गई, लेकिन प्रमाण पत्र अब तक नहीं मिला है। जिस उद्देश्य से विभाग ने प्रशिक्षण दिया था, लेकिन चरखा नहीं मिलने से महिलाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण महिलाओं को रोजगार देने का वादा अधूरा रह गया है। जनदर्शन में महिलाओं की बातों को सुनने के बाद अधिकारियों ने चरखा दिलाने का आश्वासन दिया है।
ग्रामोद्योग विभाग के अधिकारी प्रदीप देवांगन ने बताया कि, अम्बर चरखा का प्रशिक्षण करीब 50 महिलाओं को दिया गया है। उन्हें चरखा मशीन देने के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है, जहां से अभी तक 10 चरखा प्राप्त हुआ है। शेष चरखा आने के लिए प्रक्रिया जारी है। चरखा आते ही प्रशिक्षण लेने वाली महिलाओं को चरखा का वितरण कर दिया जाएगा।
हिन्दुस्थान समाचार / रोशन सिन्हा