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हरिद्वार, 1 मार्च (हि.स.)।उत्तराखंड संस्कृत अकादमी और उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा अनुसंधान केंद्र (यू-सर्क) के संयुक्त तत्वावधान में “भारतीय वैदिक गणित की प्रासंगिकता और महत्त्व” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों द्वारा वैदिक मंगलाचरण के साथ हुआ।
संस्कृत शिक्षा सचिव डॉ. दीपक कुमार गैरोला ने संस्कृत भाषा के वैज्ञानिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इसकी संरचना कंप्यूटर विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अत्यंत उपयुक्त है। उन्होंने आईआईटी रुड़की के साथ मिलकर संस्कृत भाषा के विकास हेतु कार्य करने की योजना की जानकारी दी।
शिक्षा निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज ने गणित के बढ़ते महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह शिक्षा, अनुसंधान, विज्ञान, अंतरिक्ष, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और वित्तीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यू-सर्क के वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश नौटियाल ने भारतीय गणित की प्राचीन विरासत पर चर्चा करते हुए कहा कि दशमलव प्रणाली, शून्य का आविष्कार, बीजगणित और त्रिकोणमिति भारतीय गणितज्ञों की अद्वितीय देन हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अन्य वैज्ञानिक संस्थान गणितीय सिद्धांतों के माध्यम से देश को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं। कार्यशाला में डॉ. आशीष रतूड़ी ने नारदीय सूक्त के वैज्ञानिक संदर्भों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आधुनिक विज्ञान भी इन वैदिक सूत्रों को स्वीकार कर रहा है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीशचंद्र गुरुरानी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सतेन्द्र प्रसाद डबराल ने दिया। इस अवसर पर हरिद्वार नगर निगम की मेयर किरण जैसल, विभिन्न विश्वविद्यालयों के प्राचार्य, आचार्य, शिक्षक और शोधार्थी उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला