पंजाब सरकार ने सड़क मरम्मत में 383 करोड़ बचत की:AI से 843 सड़कों का सर्वे, 1,355 किलोमीटर की अनावश्यक मरम्मत रोकी
- Admin Admin
- Aug 18, 2025
पंजाब सरकार ने 843 लिंक सड़कों की मरम्मत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे 383.53 करोड़ रुपए की बचत हुई है। जांच में पता चला कि 1,355 किलोमीटर लंबाई की कई सड़कों की मरम्मत के प्रस्ताव तैयार किए गए थे, जबकि उनकी वास्तव में मरम्मत की जरूरत नहीं थी। साथ ही, जिन सड़कों पर बड़े गड्ढे दिखाए गए थे, वहां गड्ढे बहुत कम या बिल्कुल नहीं थे। पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने कहा कि सरकार लगातार जनता के पैसे बचाने के लिए प्रयासरत है। दो चरणों में हुआ सर्वे जब दो चरणों में AI सर्वेक्षण किया गया, तो मरम्मत योग्य सड़कों की संख्या घटकर 2,526 रह गई और इसी प्रकार मरम्मत की आवश्यकता वाली सड़कों की लंबाई घटकर 7,517 किलोमीटर रह गई। पहली बार AI सर्वेक्षण वर्ष 2022-23 में किया गया। उस समय लिंक सड़कों की मरम्मत के दौरान सरकारी खजाने को 60 करोड़ रुपए की बचत हुई थी और अब इस तकनीक के कारण सरकार को 383.53 करोड़ रुपए की बचत हुई है। पहले 121.39 करोड़ की हुई बचत अब जब वर्ष 2025-26 के लिए मरम्मत परियोजना तैयार की गई, तो जिलों द्वारा तैयार किए गए अनुमानों का दोबारा एआई सर्वेक्षण कराया गया। पंजाब मंडी बोर्ड की टीम ने दो चरणों में 23 जिलों की लिंक सड़कों का एआई सर्वेक्षण किया। पहले चरण के तहत, जब एआई तकनीक से सर्वेक्षण किया गया, तो सरकारी खजाने से 121.39 करोड़ रुपए की बचत हुई। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां के निर्देश पर, जब दूसरे चरण में फिर से एआई तकनीक को सर्वेक्षण, वीडियोग्राफी और रिपोर्ट के साथ जोड़ा गया, तो यह बचत बढ़कर 383.53 करोड़ रुपए हो गई। पहले सर्वेक्षण से 60 करोड़ रुपए की बचत सबसे पहले, वर्ष 2022-23 में, दो जिलों में 4.50 लाख रुपए की लागत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करके संपर्क मार्गों की स्थिति की जांच के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया और 60 करोड़ रुपए की बचत हुई। सूत्रों का कहना है कि कई विधायकों ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में ऐसी संपर्क सड़कों को भी मरम्मत सूची में शामिल किया था जहाँ सड़कें अभी भी अच्छी स्थिति में थीं। ऐसे हाेता है आई सर्वे सड़कों का एआई सर्वे में ड्रोन कैमरे और सेंसर वाली गाड़ियां सड़क की 360° फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी करती हैं। इसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तस्वीरों और वीडियो का विश्लेषण करके गड्ढों, दरारों और खराब हिस्सों की पहचान करता है। पूरी जानकारी जीपीएस लोकेशन के साथ डिजिटल रिपोर्ट में दर्ज होती है, जिससे साफ पता चलता है कि किन सड़कों को वास्तव में मरम्मत की जरूरत है और किनकी नहीं। इस तकनीक से न केवल करोड़ों रुपए की बचत होती है बल्कि पारदर्शिता भी बनी रहती है और सड़क मरम्मत का काम समय पर व सही जगह होता है।



