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हिसार, 17 फरवरी (हि.स.)। हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद की राज्य स्तरीय
परियोजना बाल सलाह परामर्श व कल्याण केंद्र की स्थापना के तहत आर्मी कैंट क्षेत्र के
सामने स्थित मॉर्निंग स्टार चिल्ड्रन एकेडमी सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रांगण में ‘किशोरावस्था
के विद्यार्थियों एवं उनके शिक्षकों के लिए सफलता के लिए विचार, कार्य और निर्णय के
मायने: आत्मनिरीक्षण का महत्व’ विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया। इसमें विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार
की जानकारी दी गई।
स्कूल में सोमवार को आयोजित इस सेमिनार को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता के
तौर पर पहुंचे मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने
कहा कि हर व्यक्ति जीवन में सफलता चाहता है। कर्म में आनंद की प्राप्ति जो काम करते
हैं वह अच्छा लगता है, शायद सफलता की सच्ची परिभाषा यही है। ध्यान रखें, जीवन में चमत्कार
नहीं मेहनत काम आती है, सीखने की आदत, चुनौतियों का सामना करना, खुद का मूल्यांकन,
लक्ष्य निर्धारण, सतर्कता पूर्ण, सकारात्मक सोच और गिरकर उठना, आगे बढ़ते रहना सफलता
के रास्ते खोलना हैं। किशोरावस्था परिवर्तन व विकास की उम्र है। ऐसे में विचार पर काम
करना होगा, विचार जितना ही बलवान होता है उतना ही जल्दी वह सकारात्मक परिणाम प्रदान
करता है। यह एक संज्ञानात्मक गतिविधि है जो अनुभव अनुसार कार्यों को पूरा करने और समझने
के लिए मानसिक क्षमता का उपयोग करती है आज के महत्व को समझों वर्तमान से अच्छा कुछ
भी नहीं है।
उन्होंने कहा कि हर किसी को अपने स्वभाव के अनुसार काम, आजीविका चुननीचाहिए। वह काम जिसमें खुशी मिले, प्रकृति, रुचि,
योग्यता और क्षमता अनुसार हो वही काम चुनना चाहिए। शिक्षा और ज्ञान उसी को मिलती है
जिसमें जिज्ञासा होती है, इसलिए जिज्ञासा कायम रखें। निर्णय लेने की शक्ति आने वाले
कल की तस्वीर बदल सकती है, मुश्किलें हैं तो रास्ते भी मौजूद हैं, इसलिए हतोत्साहित
न हो। परीक्षा सुधार के लिए होती है, ज्यादा तनाव न लें, प्रयास बेहतर किया जाए। समय
रहते उचित निर्णय, किसी भी स्थिति में सकारात्मक - नकारात्मक दोनों पहलुओं पर विचार
करें, संभावित जोखिमों की पहचान करें, संबंधित सूचनाओं को एकत्रित करें, आने वाले कल
को विजुलाइज करें ऐसे जैसे अपने फैसले के परिणाम देख पा रहे हो, दिल की आवाज हमेशा
सुने, अति आत्मविश्वास से काम बिगड़ सकता है लेकिन विश्वास जरूरी है। उन्होंने कहा
कि आत्म निरीक्षण की कला विकसित करें, इससे व्यक्ति अहंकार, क्रोध, गुस्सा, ईर्ष्या
जैसी नकारात्मक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करना सीखता है। आत्म निरीक्षण के सौपान को
समझना होगा। किसी बाहरी वस्तु-व्यक्ति के निरीक्षण क्रम में अपनी मानसिक क्रिया पर
सही से विचार करें, खुद की ही मानसिक क्रिया के कर्म पर विचार करना चाहिए और मानसिक
क्रिया के सुधार के बारे में सोचना चाहिए।
विशेष तौर से पहुंचे परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा हर पल कुछ ना कुछ सीखते
रहें, ऑब्जर्वेशन अगर सही कर पाएंगे, सतर्क, जागरूक व सचेत रहेंगे तो संभावित तौर पर
आप किशोर बच्चे बाल शोषण जैसी घटनाओं से बचे रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए
प्रिंसिपल शकुंतला रुहिल ने कहा कि मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रेरणादायी सेवाएं बाल किशोरो
के जीवन में नई ऊर्जा भरने वाली महसूस होती हैं। कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति सुपरवाइजर
धर्मवीर, स्कूल प्रशासक गंगा मेहता इत्यादि की रही।
हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर