पांडू घाट पर काली मूर्तियों का ढेर

पांडूघाट पर काली मूर्तियों का ढेर, पर्यावरण प्रदूषण का खतरा

गुवाहाटी, 04 नवंबर (हि.स.)। राजधानी के विभिन्न्न इलाकों तथा पांडू और मालीगांव के कई इलाकों में श्यामापूजा और दीपावली के मौके पर भव्य तरीके से काली पूजा संपन्न हुई। लाखों रुपये खर्च कर छोटी-बड़ी काली प्रतिमाओं का निर्माण किया गया और हर क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इस दौरान लाखों रुपये की आतिशबाजी की गई। उच्च ध्वनि के साउंड बॉक्सों पर संगीत के साथ महिलाओं और पुरुषों के नृत्य ने वातावरण को जीवंत बना दिया। रविवार रात को काली प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ पूजा का संपन्न हुआ।

हालांकि, विसर्जन के बजाए कुछ लोगों ने पांडू घाट और सड़कों पर ही मूर्तियां छोड़ दीं। फिलहाल, पांडू घाट के किनारों और सड़क किनारे सौ से भी अधिक छोटी-बड़ी मूर्तियों का ढेर लगा हुआ है। इस मामले में न तो किसी सरकारी विभाग और न ही किसी निजी संगठन ने अब तक मूर्तियों के उचित विसर्जन की व्यवस्था की है।

स्थानीय जागरूक नागरिकों ने शिकायत की है कि हर साल लाखों रुपये खर्च कर पूजा का आयोजन किया जाता है, लेकिन मूर्तियों को इस तरह नदी किनारे और सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। इससे प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है, नदी किनारे की सुंदरता खराब हो रही है और हमारी संस्कृति की भी अनदेखी हो रही है।

स्थानीय नागरिकों और पर्यावरण प्रेमियों ने पूजा समितियों से अपील की है कि मूर्तियों का सही तरीके से विसर्जन कराया जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हों और पर्यावरण को संरक्षित रखा जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार / देबजानी पतिकर

   

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