बांग्लादेश में कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर दलित व बौद्ध: डा. निर्मल

बांग्लादेश में हिन्दू आबादी का 90 प्रतिशत दलित

लखनऊ, 4 दिसंबर (हि.स.)। बांग्लादेश के हिंदू दलित, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। वहां हत्याएं, मकानों को जलाने की घटनाएं और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार लगातार बढ़ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि कभी भी बड़ा नरसंहार हो सकता है। भाजपा के विधान परिषद सदस्य और डॉ. आंबेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने इस ज्वलंत मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की। लालजी प्रसाद निर्मल ने वी.वी.आई.पी. गेस्ट हाउस में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय का 90 प्रतिशत हिस्सा दलित समाज से है, जो वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहा है।

डॉ. निर्मल ने कहा कि विभाजन के समय बंगाल के प्रमुख दलित नेता योगेंद्र नाथ मंडल, डॉ. आंबेडकर के समकालीन थे, जो मुस्लिम लीग के प्रभाव में पूर्वी पाकिस्तान चले गए। वहां वे कानून मंत्री बने, लेकिन जल्द ही उन्हें दलितों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और जनसंहार का सामना करना पड़ा। लाखों दलितों की हत्या और महिलाओं के साथ बलात्कार के बाद उनका मोहभंग हो गया। अंततः 8 अक्टूबर, 1950 को उन्होंने पाकिस्तान से भागकर भारत की शरण ली और अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

डॉ. निर्मल ने बताया कि मंडल के भारत लौटने के बाद पूर्वी पाकिस्तान में दलितों पर बड़े पैमाने पर अत्याचार हुए। 1971 में भी लाखों दलित मारे गए। बंटवारे के समय पूर्वी पाकिस्तान में दलितों की आबादी 28 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 6 प्रतिशत रह गई है।

डॉ. निर्मल ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि आपातकालीन स्थिति में इन पीड़ित समुदायों को भारत में शरण देने पर विचार किया जाना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / बृजनंदन

   

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