कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय सेना व नौसेना के कर्मियों के लिए चौथा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम शुरू

धर्मशाला, 08 दिसंबर (हि.स.)। चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने ‘संरक्षित खेती एवं सब्ज़ियों तथा बागवानी फसलों के मूल्य संवर्द्धन’ विषय पर भारतीय सेना एवं नौसेना के जेसीओ तथा समकक्ष रैंकों के लिए अपने चौथे दीर्घावधि प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का सोमवार को शुभारंभ किया। निदेशालय प्रसार शिक्षा में आयोजित यह कार्यक्रम रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत डायरेक्टरेट जनरल ऑफ रिसेटलमेंट द्वारा प्रायोजित है, जो सेवानिवृत्ति-उपरांत कौशल विकास एवं पुनर्वास हेतु कार्यरत है। कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अशोक कुमार पांडा ने किया। इस बैच में भारतीय सेना के 14 तथा भारतीय नौसेना के 6 प्रशिक्षु कुल 20 प्रशिक्षु प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। यह प्रशिक्षण 27 मार्च 2026 तक चलेगा।

उद्घाटन मौके पर उपकुलपति डॉ. पांडा ने रक्षा कर्मियों की भागीदारी की सराहना करते हुए उन्हें विश्वविद्यालय की अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं, संरक्षित खेती सुविधाओं और व्यावहारिक प्रशिक्षण संसाधनों का पूरा लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संरक्षित खेती एवं मूल्य संवर्द्धन तकनीकें रक्षा कर्मियों के लिए सेवानिवृत्ति के पश्चात् टिकाऊ आय सृजन और उद्यमिता के उत्कृष्ट अवसर उपलब्ध कराती हैं।

निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. विनोद शर्मा ने स्वागत भाषण में सभी विशिष्ट अतिथियों, वैज्ञानिकों तथा प्रशिक्षणार्थियों का अभिवादन किया। उन्होंने बताया कि यह रक्षा कर्मियों हेतु विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित चौथा दीर्घावधि प्रशिक्षण कार्यक्रम है। डॉ. शर्मा ने संरक्षित खेती, वैज्ञानिक फसल प्रबंधन एवं मूल्य संवर्द्धन की बढ़ती प्रासंगिकता पर बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालय लगातार आवश्यकता-आधारित उच्च गुणवत्ता वाले कौशल विकास कार्यक्रम संचालित कर राष्ट्रीय सेवाओं को तकनीकी रूप से सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पाठ्यक्रम प्रभारी डॉ. लव भूषण ने प्रशिक्षण की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि पाठ्यक्रम में ग्रीनहाउस तकनीक, नर्सरी प्रबंधन, जलवायु-लचीली कृषि पद्धतियां, उपज-उपरांत प्रबंधन तथा मूल्य संवर्द्धन तकनीकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कार्यक्रम का समापन रक्षा प्रशिक्षणार्थियों को वैज्ञानिक, व्यावहारिक एवं उद्योग उन्मुख कृषि कौशलों से सशक्त बनाने के विश्वविद्यालय के संकल्प के साथ हुआ, जिससे वे सेवानिवृत्ति उपरांत आत्मनिर्भर एवं सफल उद्यमी बन सकें।

हिन्दुस्थान समाचार / सतेंद्र धलारिया

   

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