गढ़भोज राज्य की संस्कृति का परिचायक है: त्रिलोक चंद्र भट्ट

हरिद्वार, 07 अक्टूबर (हि.स.)। एसएमजेएन पीजी कॉलेज में सोमवार को आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की ओर से गढ़भोज दिवस का आयोजन किया गया। इस मौके पर छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली और कुमाऊनी दोनों प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजनों को प्रस्तुत किया गया। छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली गीतों पर परंपरागत वेशभूषा में अपने मनमोहक नृत्य से सभी को अविभूत किया।

इस अवसर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी त्रिलोक चंद्र भट्ट ने कहा कि उत्तराखंडी व्यंजनों का राज्य निर्माण आंदोलन में भी बड़ी भूमिका रही हैं। ये व्यंजन हमारे राज्य की संस्कृति का परिचायक भी है।

इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य प्रो.सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गढ़भोज दिवस का आयोजन उत्तराखंड की औषधीय गुणों से भरपूर फसलों से बनने वाले व्यंजनों के प्रचार प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

प्रो.बत्रा ने कहा कि आज के कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं की ओर से दी गई प्रस्तुति उत्तराखंड की संस्कृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।

गढ़भोज दिवस की इस व्यंजन प्रतियोगिता में स्टालों में मंडवे की रोटी,भांग और तिल की चटनी, झिंगोरे की खीर, गेहथ की दाल, उड़द की दाल की पकौड़ी, खीरे का रायता आदि बनाकर प्रस्तुत किया।

पारंपरिक व्यंजन प्रतियोगिता में सलोनी और सरस्वती ने संयुक्त रूप से प्रथम, खुशी मेहता और छाया कश्यप ने संयुक्त रूप से द्वितीय, मोनिका ने तृतीय, आरती, दीक्षा और कशिश ने चतुर्थ पुरस्कार प्राप्त किया। जबकि रोनिक,पिंकी वर्मा,वैष्णवी,दिव्यांशु नेगी,ईशा कश्यप,विकास चौहान व दिव्यांशु गैरोला को सांत्वना पुरस्कार प्राप्त हुआ।

हिन्दुस्थान समाचार / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

   

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