सर्द मौसम में कंपकपी को नजरअंदाज न करें, ठंड के प्रभाव का महत्वपूर्ण संकेत

—पर्याप्त गर्म कपड़े पहनने की जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण वाराणसी ने दी सलाह,जारी किया एडवाइजरी

वाराणसी, 08 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश में शीतलहर का असर बढ़ने लगा है। वाराणसी में लगातार गिरते तापमान को देखते हुए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सोमवार की शाम विस्तृत एडवाइजरी जारी की। प्राधिकरण ने आम लोगों को आगाह किया है कि शरीर में कंपकपी महसूस होना शीतलहर का गंभीर संकेत है और इसे कभी भी हल्के में न लें। किसी भी स्थिति में शरीर गर्मी खोने लगे तो तुरंत घर के अंदर जाएं या किसी सुरक्षित गर्म स्थान पर शरण लें। प्राधिकरण के अनुसार, शीतलहर के संपर्क में आने पर हाथ-पैर की उंगलियों, कान और नाक की नोक पर सुन्नपन, सफेदी या पीलापन दिखना खतरे के लक्षण हैं। ऐसे में तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।

—— कई परतों में गर्म कपड़े पहनें, सिर से लेकर पैर तक ढकें

एडवाइजरी में लोगों को ढीले-ढाले, हल्के और विंडप्रूफ ऊनी कपड़ों की कई परतें पहनने की सलाह दी गई है। टाइट कपड़े पहनने से बचने को कहा गया है, क्योंकि इससे रक्त संचार बाधित होता है। हाथों को ठंड से बचाने के लिए दस्तानों का उपयोग बेहद जरूरी बताया गया है। साथ ही सिर, कान, गर्दन और पैरों को ढकने के लिए टोपी, मफलर और मोजों का प्रयोग करें, क्योंकि इन हिस्सों के माध्यम से शरीर तेजी से ठंडक ग्रहण करता है। ठंड से बचाव के लिए विटामिन-सी युक्त फल व सब्जियां खाने और नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पीने की सलाह दी गई है।त्वचा को नमी बनाए रखने और ठंड से बचाने के लिए तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से मालिश लाभकारी बताई गई है।

बुजुर्गों, बच्चों और पड़ोस में अकेले रहने वाले लोगों पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही चेतावनी दी गई है कि बंद कमरे में अंगीठी या कोयला न जलाएं, क्योंकि इससे अत्यधिक जहरीली कार्बन मोनोऑक्साइड गैस उत्पन्न हो सकती है, जो जानलेवा होती है।

—पालतू जानवरों का भी रखें ख्याल

शीतलहर से उन्हें बचाने के लिए पालतू जानवरों को सुरक्षित बाड़े में रखने और उन्हें गर्म रखने के उपाय अपनाने की अपील की गई है।

—ठंड लगने पर क्या करें

व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएं और उसके गीले कपडे बदलें,व्यक्ति के शरीर को त्वचा से त्वचा के संपर्क में लाकर गर्म रखें, कंबल, कपड़े, तौलिये या चादर की परतों से सुखायें,शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय दें,शराब न दें, स्थिति बिगड़ने पर चिकित्सीय सहायता लें।

——ठंड में लंबे समय तक न रहे

लंबे समय तक ठंड के सम्पर्क में रहने से बचें,शराब न पीए क्योंकि यह शरीर के तापमान को कम करती है, और रक्त वाहिकाओं को संकुचित करती है। ठंडे से प्रभावित अंग की मालिश न करें, इससे अधिक नुकसान हो सकता है। शीत लहर और पाला फसलों को भी नुकसान पहुंचाते है। खरीफ की फसलों की वृद्धि कम हो जाती है, पत्तियां जल जाती है। (पत्तियों पर सफेद, भूरे धब्बे) बन जाते है और पत्तियां सूख कर झुलस जाती है। जिसमें उनमें काला रतुआ, सफेद रतुआ, पछेती सुषार आदि रोग उत्पन्न होते हैं। शीतलहर के कारण अंकुरण, वृद्धि पुष्पन, उपज और भंडारण अवधि में विभिन्न प्रकार के शरीरिक व्यवधान का कारण बनती है। ऐसे में उपचारात्मक उपाय अपनायें जैसे बेहतर जड़ के विकास को सक्रिय करने के लिए बोर्डो मिश्रण या कॉपर ऑक्सी-क्लोराइड, फास्फोरस (पी) और पोटेशियम (के) का छिड़काव करें। शीतलहर के दौरान जहां भी संभव हो, हल्की और बार-बार सतही सिंचाई करें। यदि संभव हो तो स्प्रिंकलर सिंचाई का उपयोग करें। ठंड प्रतिरोधी पौधों -फसलों-किस्मों की खेती करें।

बागवानी और बगीचों में इंटरक्रॉपिंग (अन्तर फसल) खेती का उपयोग करें। टमाटर, बैंगन जैसी सब्जियों की मिश्रित फसल, के साथ सरसों-अरहर जैसी लंबी फसलें ठंडी हवाओं (ठंड के खिलाफ आश्रय) के खिलाफ आवश्यक आश्रय प्रदान करेगी। सर्दियों के दौरान युवा फलदार पौधे को प्लास्टिक द्वारा ढ़क कर अथवा पुआल या सरकंडा घास आदि के छप्पर (झुग्गिया) बनाकर विकिरण अवशोषण को बढ़ाया जा सकता है। गर्म तापीय व्यवस्था प्रदान की जा सकती है। प्राधिकरण ने नागरिकों से अपील की है कि वे एन.डी.एम.ए. का मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और मौसम एवं आपदा संबंधी अपडेट प्राप्त करते रहें।

हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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