जल आपूर्ति योजनाओं के सोशल ऑडिट में स्थानीय महिलाओं की भागीदारी जरूरी: मुख्य सचिव

- पेयजल मामलों में शिकायत निवारण में सुधार को लेकर मुख्य सचिव गंभीर

- राधा रतूड़ी बोलीं, पेयजल आपूर्ति में आम नागरिकों की संतुष्टि सबसे पहले

देहरादून, 2 दिसंबर (हि.स.)। जल आपूर्ति योजनाओं के सोशल ऑडिट को प्रभावी बनाने तथा पेयजल योजनाओं में महिलाओं के फीडबैक को सर्वाधिक महत्वपूर्ण बताते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सोशल ऑडिट में जल उपभोक्ताओं में विशेषकर स्थानीय महिलाओं को शामिल करने के निर्देश हैं।

पेयजल सम्बन्धित मामलों पर आम नागरिकों की संतुष्टि को शीर्ष प्राथमिकता देने की कड़ी हिदायत देते हुए मुख्य सचिव रतूड़ी ने इस क्षेत्र में बेस्ट प्रेक्टिसेज को अपनाने तथा शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सचिवालय में सोमवार को अर्द्धशहरी क्षेत्रों में विश्व बैंक से सहायता प्राप्त उत्तराखण्ड जल आपूर्ति कार्यक्रम की 11वीं उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक में मुख्य सचिव ने पेयजल विभाग एवं अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को जल जीवन मिशन के समयसीमा विस्तार के लिए भारत सरकार को तत्काल पत्र प्रेषित करने के निर्देश दिए हैं।

पेयजल की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश देते हुए मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बेस्ट प्रैक्टिसेज के तहत यूजर फे्रण्डली डैशबोर्ड पर स्टेट आफ आर्ट एमआईएस में सभी मुख्य परफोर्मेन्स इण्डिकेटर्स को दर्ज करने की हिदायत दी है। मुख्य सचिव ने सर्विस डिलीवरी में गैप आने पर सम्बन्धित इंजीनियरों को एसएमएस के माध्यम से ऑटो एलर्ट भेजकर शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने तथा 48 घण्टे के भीतर शिकायतों के निवारण के भी निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने उपभोक्ताओं के संतुष्टिकरण के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए निरन्तर कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में मुख्य सचिव ने उत्तराखण्ड जल आपूर्ति कार्यक्रम के लिए प्रोजेक्ट मेनेजमेंट कन्सलटेन्सी फर्म की समयसीमा विस्तार तथा इस कार्यक्रम के इन्वायरमेंट आडिट पर प्रशासनिक एवं वित्तीय का अनुमोदन दिया। साथ ही उन्होंने उत्तराखण्ड जल आपूर्ति कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन समापन और परिणाम रिपोर्ट (इंप्लीमेंटेशन्स कम्प्लीटेशन एंड रिजल्ट रिपोर्ट—आईसीआर) के लिए कन्सलटेन्सी सेवाओं की नियुक्ति के लिए प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति दी। सीएस ने उत्तराखण्ड पेयजल निगम की मोहोलिया तथा उमरूखुर्द जलापूर्ति योजनाओं के समयसीमा विस्तार पर भी अनुमोदन दिया।

बैठक में जानकारी दी गई कि 975 करोड़ रुपये लागत की विश्व बैंक से सहायता प्राप्त उत्तराखण्ड जल आपूर्ति कार्यक्रम में देहरादून, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल एवं उधमसिंह नगर के 22 अर्द्धशहरी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत वाॅल्यूमीटरिंग के साथ 16 घण्टे अबाध प्रतिदिन जलापूर्ति की जा रही है। इसके तहत 106202 वाटर कनेक्शन के साथ बड़ी आबादी लाभान्वित हो रही है। उत्तराखण्ड जल आपूर्ति कार्यक्रम के तहत संचालित कुल 22 अर्द्धशहरी योजनाओं में सभी योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। योजना पर विश्व बैंक द्वारा भी संतुष्टि व्यक्त की गई है। इस अवसर पर सचिव दिलीप जावलकर, शैलेश बगौली सहित सम्बन्धित विभागों के अधिकारी मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

   

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