हिसार : हरियाणवी कविता संग्रह  धरती मां का हुआ लोकार्पण

साहित्यकार जयभगवान सैनी ने डॉ. मधुकांत की पुस्तक का किया हरियाणवी अनुवाद, लोकार्पणहिसार, 4 दिसंबर (हि.स.)। प्रसिद्ध साहित्यकार जयभगवान सैनी द्वारा अनुवादित हरियाणवी कविता संग्रह का लोकार्पण धूमधाम से किया गया। कुरुक्षेत्र में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कई साहित्यकारों की उपस्थिति में इस पुस्तक का लोकार्पण हुआ। डॉ. मधुकांत द्वारा रचित हिन्दी कविता संग्रह को जयभगवान सैनी द्वारा हरियाणवी में अनुवाद करके पुस्तक का शीर्षक धरती मां दिया गया है।

कुरुक्षेत्र में बुधवार को आयोजित स्त्री शक्ति संगठन के वार्षिक अधिवेशन एवं सम्मान समारोह में इस पुस्तक का विमोचन किया गया। इस दौरान स्त्री विमर्श एवं स्वच्छ हिंदी वैश्विक हिंदी अभियान की प्रासंगिकता पर भी मंथन किया गया। इस अवसर पर डॉ. मधुकांत ने धरती मां पुस्तक की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। साहित्यकार जयभगवान सैनी ने अनुवादित कविता संग्रह धरती मां की कविताओं का पाठ करके सभी का मन मोह लिया। उन्होंने कविताओं व हरियाणवी के महत्व को भी समझाया। उल्लेखनीय है कि जयभगवान सैनी के यात्रा संस्मरण, कविता संग्रह, लघुकविता संग्रह, आत्मकथा, बाल साहित्य व कहानी संग्रह सहित बहुत सी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित जयभगवान द्वारा रचित श्री अमरनाथ धाम एवं गंगा मैया, डगर-डगर नगर-नगर, रास्तों में रास्ते, वे सुनहरे पल व चलें धामों की ओर यात्रा संस्मरण काफी पसंद किए गए हैं। इसी भांति कविता संग्रह उम्मीदें, फलों का फल, सब्जीनामा, धरोहर की पाती व धरती मां (हरियाणवी अनुवादित) कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। लघुकविता संग्रह लुप्त-विलुप्त (हरियाणवी), मन की गंगोत्री, स्मृति शेष : जयलालदास, प्रो. रूप देवगुण : अतीत की झलकियां, अतीत के झरोखे, एक बै अमराई मैं (हरियाणवी अनुवादित), दिवस में दिवस, मैंने पूछा, अन्न पै अधिकार सभी का (हरियाणवी अनुवादित) व विभूतियों की महिमा भी पाठकों ने सराहे हैं। आत्मकथा उमड़ती हरियाणवी यादें, बाल साहित्य कलरव करते पक्षी, पक्षियों का संसार व चुन्नू-मुन्नू की रचना भी वे कर चुके हैं। घटना-दुर्घटना कहानी संग्रह भी वे लिख चुके हैं। हिसार की बड़वाली ढाणी निवासी जयभगवान सैनी ने विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी की और अंत में औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त होकर साहित्य साधना में जुट गए। वे विभिन्न राज्यों व अनगिनत धार्मिक स्थलों की यात्रा करके उनका अवलोकन कर चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / राजेश्वर

   

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