काशी तमिल संगमम—04: तमिल छात्रों ने क्रूज से निहारी काशी के घाटों की अद्भुत संस्कृति
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- Dec 02, 2025
—दशाश्वमेध घाट पर देखी भव्य गंगा आरती
वाराणसी,2 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी (वाराणसी) मंगलवार शाम एक बार फिर ऐतिहासिक अवसर की साक्षी बनी, जब काशी तमिल संगमम्–4 का भव्य शुभारंभ नमोघाट पर पूरे उत्साह के साथ हुआ। तमिल छात्रों के दल ने इस आयोजन में हिस्सा लिया।
उद्घाटन समारोह के बाद तमिल डेलिगेट्स को वाराणसी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराने के लिए उन्हें गंगा क्रूज़ यात्रा पर ले जाया गया। सभी अतिथि गंगा के शांत एवं स्थिर लहरों पर क्रूज में सवार काशी के प्राचीन घाटों की भव्यता से अभिभूत दिखे। क्रूज के डेक पर खड़े होकर डेलिगेट्स ने अस्सी घाट से लेकर पंचगंगा घाट तक के सुंदर दृश्यों को अपने कैमरों में कैद किया। सायंकाल गंगा तट पर जलते दीपों का मनोहारी दृश्य, घाटों पर अविरल चल रही पूजा-पद्धतियां और हवा में बहती सुगंध—इन सबने यात्रियों को एक दिव्य अनुभव प्रदान किया। क्रूज़ यात्रा के बीच सभी ने विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती देखी। मंत्रोच्चार, घंटों-घड़ियालों की ध्वनि ने वातावरण को आध्यात्मिक चेतना से भर दिया। तमिल डेलिगेट्स गंगा आरती के दौरान अभिभूत दिखाई दिए। कई अतिथियों ने कहा कि वे इस दिव्य क्षण को कभी नहीं भूल पाएंगे।
तमिलनाडु से आए छात्रों ने काशी की संस्कृति और यहां की जनता द्वारा मिले स्नेह की खुलकर प्रशंसा की। एक छात्र ने कहा, काशी में हमें अद्भुत प्रेम मिला है। यहां लोगों की सरलता और आध्यात्मिकता ने हमें बेहद प्रभावित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हम धन्यवाद देते हैं कि उनके प्रयासों से हमें ऐसी ऐतिहासिक यात्रा करने का अवसर मिला। छात्रों ने विशेष रूप से काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की सराहना करते हुए बताया कि मंदिर परिसर का नया स्वरूप देखकर उन्हें गर्व और आश्चर्य दोनों की अनुभूति हुई। छात्रों ने यह भी कहा कि अब वे अयोध्या में बने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के दर्शन करने के लिए उत्सुक हैं। उनके अनुसार, उत्तर भारत की इन महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों का अनुभव उनकी सांस्कृतिक समझ को और व्यापक बनाएगा। प्रतिभागियों ने बताया कि वे कल आयोजित होने वाले अकादमिक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। वे इतिहास, कला, भाषा और साहित्य से जुड़े महत्वपूर्ण सत्रों में शामिल होकर बहुत कुछ सीखने की उम्मीद कर रहे हैं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी



