दूर-दराज के क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाएं-मुख्य सचिव

जम्मू 28 नवंबर (हि.स.)। मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की एक बैठक की जिसमें डॉक्टरों की भारी कमी का सामना करने वाले ब्लॉकों की पहचान करने के अलावा समस्या के समाधान के तरीकों पर विचार-विमर्श किया गया।

बैठक में एच एंड एमई विभाग के सचिव के अलावा एमडी एनएचएम, मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य, निदेशक समन्वय, निदेशक स्वास्थ्य सेवा कश्मीर/जम्मू, निदेशक आयुष तथा विभाग के अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

मुख्य सचिव ने सबसे पहले पदानुक्रम के प्रत्येक स्तर पर कर्मचारियों की उपलब्धता और उसकी ताकत का अवलोकन किया। इसके बाद उन्होंने परिधीय जिलों में उन ब्लॉकों की जांच की जहां डॉक्टरों की उपलब्धता के मामले में गंभीर कमी है।

इस मामले पर आगे विचार-विमर्श करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि इस अंतर को भरने के लिए कई कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने यूटी के इन दूर-दराज के क्षेत्रों में सेवा करने के लिए युवा पेशेवरों को प्रेरित करने के लिए एक रोडमैप तैयार करने की सलाह दी।

मुख्य सचिव ने ऐसे चिकित्सा पेशेवरों को उन दिनों के आधार पर नॉन-प्रैक्टिसिंग भत्ता जैसे कुछ प्रोत्साहन देने के प्रावधान बनाने के लिए भी कहा, जब वे ऐसे दूरदराज के क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों में शामिल होते हैं। उन्होंने इन क्षेत्रों में सेवा करने के लिए अतिरिक्त प्रेरक बल के रूप में उन्हें अन्य सुविधाएं और लाभ प्रदान करने का भी समर्थन किया। उन्होंने उनसे इन स्वास्थ्य सुविधाओं में टेलीमेडिसिन कियोस्क की स्थापना पर विचार करने का आग्रह किया ताकि लोग संबंधित जिला अस्पतालों या निकटतम मेडिकल कॉलेजों से आवश्यक स्वास्थ्य सलाह ले सकें।

विभाग को जिला रेजीडेंसी कार्यक्रम को तर्कसंगत बनाने का निर्देश दिया ताकि प्रत्येक जिले में इसके तहत अपेक्षित संख्या में डॉक्टर उपलब्ध हों। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के दूरदराज के ब्लॉकों में उप-जिला अस्पतालों में ऐसे रेजीडेंसी कार्यक्रमों की शुरुआत की वकालत की।

सचिव एचएंडएमई, डॉ. सैयद आबिद रशीद शाह ने इस अवसर पर अधिकांश स्वास्थ्य सुविधाओं में सलाहकारों और चिकित्सा अधिकारियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभाग की कुछ पहलों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने जम्मू-कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों में डॉक्टरों की अनुपलब्धता की समस्या के समाधान के लिए विभाग द्वारा उठाए जा रहे विभिन्न कदमों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यूटी में स्वीकृत पद के अनुसार पद पर सलाहकारों, चिकित्सा अधिकारियों और डेंटल सर्जनों की अच्छी संख्या के साथ विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में 71 प्रतिशत डॉक्टरों की कुल उपलब्धता है।

आगे यह बताया गया कि विभाग मुख्य सचिव द्वारा पारित निर्देशों को लागू करने जा रहा है ताकि आने वाले समय में यूटी के दूरदराज के ब्लॉकों में चिकित्सा देखभाल सुचारू रूप से प्रदान की जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी

   

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