धर्म भगवान से प्रकट होता है, वाणी पर संयम न हो तो बढ़ता है कलेश: आचार्य योगेश शर्मा

मंडी, 22 अप्रैल (हि.स.)। सनातन धर्म सभा मंडी में आयोजित सात दिवसीय भागवत कथा का समापन मंगलवार 22 अप्रैल को हो गया। इस भागवत कथा का आयोजन कुंज बिहारी शर्मा की ओर से उनकी पुत्रवधु स्व. सुमन शरमा की स्मृति में किया गया। इस अवसर पर मशहूर भागवत कथावाचक पंडित योगेश शर्मा ने इस सात दिवसीय भागवत कथा का वाचन किया। मंगलवार को सनातन धर्म सभा में हवन यज्ञ के पश्चात पूर्णाहुति डाली गई। इस अवसर पर आचार्य योगेश शर्मा ने धर्म का मर्म समझाते हुए बताया कि धर्म भगवान से प्रकट होता है, सबका कर्तव्य है कि धर्म का उपदेश दें।

उन्होंने बताया कि भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं -हे अर्जुन मैं धर्म का अनुसरण करता हूं, मैं स्वयं श्रेष्ठ आचरण करता हूं ताकि सब लोग भी उसका आचरण करे। उन्होंने कहा कि गृहस्थ आश्रम को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। उन्होंने कहा कि भगवान एक है और उनके रूप अनेक है, उसी प्रकार शक्ति के रूप अनेक है। पंडित योगेश शर्मा ने कहा कि मनुष्य को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए, जिस बात से कलेश हो वो बात किसी को नहीं बतानी चाहिए। क्योंकि बात जब मुंख से निकलती है तो फिर आगे से आगे बढ़ती चली जाती है।

उन्होंने कहा कि भागवत कथा दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धासुमन अर्पित करने के अलावा संपूर्ण परिवार की सुख समृद्धि एवं आध्यात्मिक उन्नति की कामना भी है। इस सात दिवसीय भागवत कथा के आयोजन से समस्त आयोजन स्थल को भक्ति-रस में सराबोर कर देने वाले इस अनुष्ठान में परिजन, इष्ट-मित्र एवं धर्मप्रेमी भक्तों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस अवसर पर आचार्य योगेश शर्मा ने कहा कि सनातन धर्मसभा में सात दिवसीय भागवत कथा कहने का सौभग्य प्राप्त हुआ है। रघुनाथ की कृपा से उन्हें कथावाचन का अवसर मिला।

उन्होंने कहा कि बाबा भूतनाथ ही छाोटी काशी मेरी जन्म स्थली है। उन्होंने कहा कि वेदों का पठन-पाठन कठिन अनुशाीलन है। इसलिए महर्षि वेद व्यास ने कहा है कि भागवत कथा का श्रवण करने से कल्याण होता है। भागवत कथा के समापन दिवस पर हवन-पूजन एवं भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया। इस आयोजन ने सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया, जो दीर्घकाल तक स्मरणीय रहेगा।

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हिन्दुस्थान समाचार / मुरारी शर्मा

   

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