अभिषेक बनर्जी ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की अटकलें खारिज कीं, कहा पार्टी जहां चाहेगी वहीं से लड़ूंगा

कोलकाता, 01 दिसम्बर (हि. स.)। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को नंदीग्राम से उनकी संभावित उम्मीदवारी को लेकर चल रही अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि पार्टी जहां से कहेगी, वह वहीं से लड़ने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह पार्टी का होगा और भाजपा को इस पर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र के महेशतला में एक कार्यक्रम में अभिषेक बनर्जी ने कहा कि नंदीग्राम हो या फिर दार्जिलिंग, पार्टी का जो भी निर्देश होगा, वे उसका पालन करेंगे। उन्होंने अंदेशा जताया कि इस चर्चा को भाजपा नेता सुकांत मजूमदार की राजनीतिक इच्छा ने हवा दी होगी, जबकि तृणमूल अपने फैसले खुद लेती है।

केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने रविवार को दावा किया था कि अभिषेक बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और जिले में अपने करीबी अधिकारियों को तैनात कर रहे हैं। हालांकि, आलोचना बढ़ते ही उन्होंने कहा कि तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी जहां से भी लड़ेंगी, भाजपा उन्हें हरा देगी।

बाद में अभिषेक बनर्जी ने इन दावों को ‘‘मनगढ़ंत शोर’’ बताया और कहा कि पार्टी जहां और जैसे उन्हें उपयोग करेगी, वह उसी के अनुसार काम करेंगे।

इस बीच, विधानसभा के विपक्ष नेता शुभेंदु अधिकारी ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर अभिषेक नंदीग्राम से लड़ते भी हैं, तो वहां कोई उन्हें वोट नहीं देगा। अधिकारी नंदीग्राम को भाजपा का ‘‘गढ़’’ बताते रहे हैं, जबकि तृणमूल ने इस दावे को उनकी राजनीतिक असुरक्षा का परिणाम बताया है।

तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता अरुप चक्रवर्ती ने पलटवार करते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने शुभेंदु अधिकारी को अपनी ‘‘नापसंद सूची’’ में डाल दिया है। उन्होंने दावा किया कि पंचायत चुनावों में नंदीग्राम में तृणमूल की जीत साबित करती है कि अधिकारी को अपनी सीट बचाना ही सबसे बड़ी चुनौती है।

नंदीग्राम की राजनीति लगातार बंगाल के राजनीतिक इतिहास के केंद्र में रही है। 2007 में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन से शुरू हुआ जनविरोध, राज्य की सत्ता परिवर्तन की निर्णायक धारा बना। इसी आंदोलन ने ममता बनर्जी और उस समय उनके सहयोगी शुभेंदु अधिकारी को राज्य की राजनीति में प्रमुख चेहरा बनाया और 2008-2011 तक तृणमूल की बढ़त को मजबूत किया।

2021 की नंदीग्राम सीट की कड़ी लड़ाई, जिसमें ममता बनर्जी को करीब 1900 वोटों से हार का सामना करना पड़ा, अभी भी राजनीतिक चर्चा का प्रमुख हिस्सा है। बाद में ममता भवानीपुर से भारी बहुमत से विधानसभा लौटीं, लेकिन नंदीग्राम की राजनीतिक स्मृति आज भी जीवंत है।

2026 के विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर की प्रक्रिया और राजनीतिक माहौल में बढ़ी गर्माहट के बीच, अभिषेक बनर्जी की सीट को लेकर शुरू हुई अटकलों ने नंदीग्राम को एक बार फिर सुर्खियों के केंद्र में ला दिया है। हालांकि बनर्जी ने किसी भी तरह की इच्छा जताने से इनकार करते हुए कहा कि अंतिम निर्णय पार्टी करेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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